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नई शिक्षा नीति पर BJP अध्यक्ष जेपी नड्डा बोले- नई शिक्षा नीति नए भारत की जरूरतों को ध्यान में रखती है

नड्डा ने कहा, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 बहुप्रतीक्षित सुधार और नियामक ढांचा लेकर आयी है जो 21 सदी के नये भारत और जरूरतों को ध्यान में रखती है और हमारे बच्चों और युवाओं की ऊर्जा को आत्मनिर्भर बेहतर भारत के लिए सार्थक बनाती है।

भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बुधवार को कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूर की गई नयी शिक्षा नीति बहुप्रतीक्षित सुधार और नियामक ढांचा लेकर आयी है जो ‘‘नये भारत’’की जरूरतों को ध्यान में रखती है और युवाओं की ऊर्जा को ‘‘आत्मनिर्भर बेहतर भारत’’ के लिए सार्थक बनाती है।
नड्डा ने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा कि आज का दिन देश के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्रीय केबिनेट ने नयी शिक्षा नीति 2020 को मंजूरी दे दी। उन्होंने कहा, ‘‘विस्तृत विमर्श के बाद तैयार की गई यह शिक्षा नीति गुणवत्तापूर्ण शोध को प्रोत्साहन देने के अलावा बच्चों की देखभाल व उनकी शिक्षा, विद्यार्थियों के साथ निष्पक्षता और शिक्षकों की नियुक्ति को सुदृढ बनाना सुनिश्चित करती है।’’
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी जिसमें स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक कई बड़े बदलाव किये गए हैं, साथ ही शिक्षा क्षेत्र में खर्च को सकल घरेलू उत्पाद का 6 प्रतिशत करने तथा उच्च शिक्षा में साल 2035 तक सकल नामांकन दर 50 फीसदी पहुंचने का लक्ष्य है।
नड्डा ने कहा, ‘‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 बहुप्रतीक्षित सुधार और नियामक ढांचा लेकर आयी है जो 21 सदी के नये भारत और जरूरतों को ध्यान में रखती है और हमारे बच्चों और युवाओं की ऊर्जा को आत्मनिर्भर बेहतर भारत के लिए सार्थक बनाती है।’’ इसकी घोषणा करते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने बताया कि 34 साल से शिक्षा नीति में परिवर्तन नहीं हुआ था, इसलिए यह बेहद महत्वपूर्ण है।
नयी शिक्षा नीति में स्कूल शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक कई बड़े बदलाव किए गए हैं। इसमें (लॉ और मेडिकल शिक्षा को छोड़कर) उच्च शिक्षा के लिये सिंगल रेगुलेटर (एकल नियामक) रहेगा। इसके अलावा उच्च शिक्षा में 2035 तक 50 फीसदी सकल नामांकन दर पहुंचने का लक्ष्य है। नई नीति में मल्टीपल एंट्री और एग्जिट (बहु स्तरीय प्रवेश एवं निकासी) व्यवस्था लागू की गयी है। गौरतलब है कि वर्तमान शिक्षा नीति 1986 में तैयार की गई थी और इसमें 1992 में संशोधन किया गया था। नई शिक्षा नीति का विषय 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी के चुनावी घोषणा पत्र में शामिल था। केंद्रीय केबिनेट में मानव संसाधन विाकस मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय करने को भी मंजूरी दी।

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