पंजाब (Punjab) के पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) के सहयोगी कैप्टन अमरिंदर सिंह (Amarinder Singh) ने सशस्त्र बलों में भर्ती के लिए केंद्र की नई ‘अग्निपथ’ योजना (Agneepath Scheme) पर पुनर्विचार करने का सुझाव दिया। साथ ही आश्चर्य जताया कि सरकार को इस तरह के ‘‘मौलिक’’ बदलाव करने की जरूरत क्यों पड़ी? सेना में कप्तान रहे अमरिंदर सिंह ने कहा, ‘‘यह लंबे समय से मौजूद रेजिमेंट के विशिष्ट लोकाचार को कमजोर करेगा।’’
केंद्र को भर्ती नीति में इस तरह के बदलाव की क्या जरूरत?
एक बयान के अनुसार, सिंह ने आश्चर्य जताया कि सरकार को भर्ती नीति में इस तरह के ‘‘मौलिक बदलाव’’ करने की आवश्यकता क्यों पड़ी, जो कि ‘‘इतने सालों से देश के लिए बेहतर तरीके से काम कर रही है।’’ अमरिंदर सिंह की पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस राज्य में भाजपा की सहयोगी है। अमरिंदर सिंह ने कहा, ‘‘तीन साल की प्रभावी सेवा के साथ चार साल के लिए सैनिकों को भर्ती करना, सैन्य रूप से एक अच्छा विचार नहीं है।’’
रेजिमेंट कर रहे अच्छा प्रदर्शन फिर इतना बड़ा बदलाव क्यों?
सिख रेजिमेंट में तैनात अमरिंदर सिंह ने कहा कि भर्ती के लिए 'ऑल इंडिया ऑल क्लास' की यह नई नीति पहले से मौजूद 'सिंगल क्लास रेजिमेंट' को मार देगी। अमरिंदर ने कहा, “ये रेजिमेंट अपने वर्तमान चरित्र में अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं, तो इसे क्यों बदलें? मैं इस कदम से कतई सहमत नहीं हूं। इन रेजिमेंटों की अपनी परंपराएं और जीने का तरीका होता है।" अमरिंदर ने साथ ही यह भी कहा कि प्रस्तावित 4 साल का प्रशिक्षण बहुत कम समय है, क्योंकि प्रशिक्षण के लिए कम से कम 6-7 साल की आवश्यकता होती है।
केंद्र सरकार ने की ‘अग्निपथ’ योजना की घोषणा
बता दें कि केंद्र सरकार ने दशकों पुरानी रक्षा भर्ती प्रक्रिया में आमूलचूल परिवर्तन करते हुए थलसेना, नौसेना और वायुसेना में सैनिकों की भर्ती संबंधी ‘अग्निपथ’ योजना की मंगलवार को घोषणा की थी, जिसके तहत सैनिकों की भर्ती चार साल की संक्षिप्त अवधि के लिए संविदा के आधार पर की जाएगी। योजना के तहत तीनों सेनाओं में इस साल करीब 46,000 सैनिक भर्ती किए जाएंगे। चयन के लिए पात्रता आयु साढ़े 17 वर्ष से 21 वर्ष के बीच होगी और इन्हें ‘अग्निवीर’ नाम दिया जाएगा।