नई दिल्ली : केंद्रीय सड़क परिवहन, जहाजरानी एवं जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी ने अगले लोकसभा चुनाव में संयुक्त विपक्ष की जीत की किसी संभावना को खारिज किया और दावा किया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में इस वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव में फतह हासिल करेगी। श्री गडकरी ने एक टेलीविजन कार्यक्रम में वर्ष 1971 के दिनों का स्मरण करते हुए कहा कि उस दौरान जनसंघ, स्वतंत्र पार्टी, कांग्रेस(ओ) और सोशलिस्ट पार्टी ने आम चुनाव में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के खिलाफ एक महागठबंधन तैयार किया था, लेकिन वह इंदिरा जी थी, जिन्होंने चुनाव का रूख ही बदल दिया था।
राजस्थान के संदर्भ में श्री गडकरी ने कहा, ‘ राज्य का अब तक रिकार्ड रहा है कि वहां के मतदाताओं ने वैकल्पिक पार्टी को वोट दिया, लेकिन इस बार मेरा दावा है कि हमारी पार्टी जीतेगी।’ उनसे जब पूछा गया कि अगले उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के लिए अगर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी एक हो गये तो वहां की 80 में से 73 सीटें भाजपा कैसे जीतेगी, उन्होंने कहा, ‘ राजनीति में दो और दो कभी चार नहीं हुआ करते।
उत्तर प्रदेश में इस वर्ष हुए तीन र्प्रमुख लोकसभा उपचुनाव में भाजपा को हराने के लिए सपा और बसपा के एक होने के संदर्भ में श्री गडकरी ने कहा, ‘ दो या तीन उपचुनाव मायने नहीं रखते। प्रांतीय अथवा राष्ट्रीय स्तर पर एक मजबूत गठबंधन के गठन में काफी दिक्कतें होती है और बहुत सी किंतु-परंतु होते हैं। यह पूछे जाने पर कि अगले लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा के बहुमत हासिल करने में विफल रहने पर क्या वह प्रधानमंत्री पद के लिए आरएसएस की पसंद हो सकते हैं, श्री गडकरी ने कहा, ‘ यह गलत अनुभूति है। मैँ ना कभी आरएसएस की पसंद रहा और ना ही मैं प्रधानमंत्री बनने का सपना देखता हूं।’ उन्होंने कहा, ‘ मेरी हमेशा‘ लो-प्रोफाइल’रही है और मैं जमीन से जुड़ व्यक्ति हूं। मैंने कभी किसी को अपना‘बॉयोडाटा’नहीं दिया। मेरे लिए जीवन में राजनीति हमेशा सामाजिक सुधार का जरिया रहा है। मैं देश के लिए काम करना पसंद करता हूं। मेरा मानना है कि मुझे अपने जीवन में उम्मीदों से बढ़कर ही मिला है। मैं आरएसएस का केवल एक यंसेवक हूं। कृपया मुझे किसी विवाद में न घसीटें।’ पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में लगातार बढ़तरी के संबंध में उन्होंने कहा, ‘ इसका समाधान केवल एथानॉल, मेथानॉल, बायो-सीएनजी और इलेक्ट्रिक वाहन जैसे विकल्प ही हैं। हमें तेल के आयात में कमी करनी चाहिए तथा वैकल्पिक ईंधन के उपयोग को बढ़वा देना चाहिए।