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अब त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड पर हैं भाजपा की नजरें

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चुनाव आयोग ने त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड में विधानसभा चुनावों की घोषणा कर दी है। ये विधानसभा चुनाव भाजपा, कांग्रेस और लेफ्ट फ्रंट के लिए काफी अहम है। 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा ने पूर्वोत्तर में अपनी पकड़ मजबूत कर ली है। पहले असम और उसके बाद मणिपुर में भाजपा सत्ता में आई। अब भाजपा की निगाहें त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड पर है। तीनों राज्यों में भाजपा ने पूरा जोर लगा रखा है। मेघालय में कांग्रेस की हालत काफी खराब है।

भाजपा ने यहां उसके गढ़ में सेंध लगा ली है। कांग्रेस के कई विधायक इस्तीफा देकर भाजपा समेत अन्य दलों में शामिल हो चुके हैं। कांग्रेस की असल चिंता मेघालय में सरकार बचाने की है। दिसंबर में कांग्रेस के एक सहित 4 विधायकों ने भाजपा का दामन थाम लिया है। इस माह कांग्रेस के 5 सहित आठ विधायक एनडीए की सहयोगी नेशनल पीपुल्स पार्टी;एनपीपी में शामिल हुए हैं।

एनपीपी भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस;एनईडीए में शामिल है। यह अलायंस 2016 में बना था। 2013 में मेघालय विधानसभा चुनावों की 60 सीटों में से कांग्रेस ने 29 सीटें जीती थी। नागालैंड विधानसभा में 60 सीटें हैं। यहां नगा पीपुल्स फ्रंट;एनपीएफ भाजपा के समर्थन से अपनी सरकार चला रही है।

भाजपा के सामने चुनौती है कि नागालैंड में एनडीए की सत्ता बनी रहे। आपको बता दें कि नगा समस्या को लेकर नागालैंड में विधानसभा चुनाव टालने की मांग की जा रही है। ऐसी आशंकाएं हैं कि सीमा पार से सक्रिय उग्रवादी नागालैंड के आगामी चुनावों में हिंसा कर सकते हैं।इसके चलते चुनाव आयोग ने असम राइफल्स से 1643 किलोमीटर लंबी भारत.म्यांमार सीमा पर गश्त बढ़ाने को कहा है।

भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती त्रिपुरा में है। पिछले दो दशक से माणिक सरकार के नेतृत्व में लेफ्ट फ्रंट यहां की सत्ता पर काबिज है। 60 सीटों वाली त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में भाजपा पूरा जोर लगा रही है। 2013 के विधानसभा चुनावों में यहां सीपीएम को 49 सीटों पर जीत मिली थी जबकि कांग्रेस के खाते में 10 सीटें आई थी। सीपीएम के उभार ने त्रिपुरा में कांग्रेस को हाशिए पर धकेल दिया है।

हालांकि इस बार राजनीति थोड़ी बदली है। ऐसा पहली बार देखने को मिल रहा है कि किसी राज्य में कम्यूनिस्ट पार्टी और भाजपा में सीधी टक्कर हो रही है। भाजपा को इस बार मोदी नाम के अलावा योगी के नाम पर भी भरोसा है। दरअसल यहां योगी की लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है।

भाजपा के एक नेता के मुताबिक त्रिपुरा में करीब 35 फीसदी बंगाली नाथ संप्रदाय से हैं। यह वही संप्रदाय है जिसे यूपी के मुख्यमत्री योगी आदित्यनाथ ने अपना लिया था इसलिए योगी के नाम को लेकर यहां लोग काफी उत्साहित हैं। त्रिपुरा में भाजपा की निगाह हिंदू वोट बैंक पर है। भाजपा ने पहले ही असम के वित्त मंत्री हिमंता बिश्व शर्मा को त्रिपुरा चुनाव के लिए प्रभारी बनाने का ऐलान कर दिया है।

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