रायपुर : चुनावी साल में राजनीतिक दलों का रूख अब बूथों की ओर नजर आने लगा है। सत्ताधारी दल भाजपा समेत विपक्ष कांग्रेस और अन्य दलों ने भी बूथ स्तरों पर टोह लेनी शुरू कर दी है। वहीं बूथ कार्यकर्ताओं को रिचार्ज कर झोंकने पर जोर दिया जा रहा है। भाजपा ने अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में बूथ स्तरीय कार्यकर्ताओं से सीधे फीड बैक लेकर संगठन को इस पर अमल करने के निर्देश दिए हैं।
सत्ताधारी दल की रणनीति बीते लोकसभा चुनाव के मार्जिन को बरकरार रखने की है। हालांकि इसके लिए बूथ कार्यकर्ताओं के साथ मंडल स्तर पर भी कवायदें हो रही है। इधर विपक्ष कांग्रेस ने इस बार काडर तैयार करने बूथ मिशन पर काम शुरू किया है। कांग्रेस में पहली बार बूथ पैटर्न पर चुनाव लड़ने की तैयारी हो रही है।
विपक्ष की रणनीतियों के मद्देनजर सत्ताधारी दल को भी अपनी रणनीतियों में आंशिक बदलाव करना पड़ा है। हालांकि भाजपा का जोर मिशन के लक्ष्य की ओर अधिक है। सूत्र दावा करते हैं कि शुरूआती सर्वे के आधार पर भाजपा ने 90 में से 65 सीटों को चिन्हित कर लिया है। इन सीटों के बूथों में विशेष तौर पर रणनीतिकारों को झोंका गया है।
इसकी कार्यकर्ताओं को भी भनक नहीं लगने दी गई है। संगठन के अंदरूनी सर्वे उत्साहजनक नहीं होने के बाद निचले स्तर पर कार्यकर्ताओं से चर्चा कर उनके मुताबिक बूथों में भी बदलाव हो रहे हैं। इधर सत्ताधारी दल का जोर आदिवासी बेल्ट में ही अधिक नजर आ रहा है। बस्तर और सरगुजा अंचल में बीते चुनाव में मिली पटखनी के बाद खामियों को दूर करने की कोशिशें हो रही है।
आदिवासी बेल्ट में फतह की स्थिति में ही भाजपा 60 का आंकड़ा पार कर सकती है। हालांकि राज्य में हुए बीते तीन विधानसभा चुनाव में कोई भी दल 60 का आंकड़ा पार नहीं कर पाया। सीटों के लिहाज से अंतर मामूली ही रहा है। भाजपा की रणनीति इस मामूली अंतर को काफी आगे ले जाने की नजर आ रही है।
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