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अंग्रेजों ने भारत के दिग्गजों को नहीं दिया उचित सम्मान – नायडू

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने मंगलवार को कहा कि स्कूली बच्चों को राष्ट्रीय नायकों के बारे में बताया जाना चाहिए और युवा पीढ़ी को प्रेरित करने के लिए पाठ्यपुस्तकों में उनकी जीवन यात्रा और बलिदान के किस्सों को रोचक तरीके से लिखा जाना चाहिए।

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने मंगलवार को कहा कि स्कूली बच्चों को राष्ट्रीय नायकों के बारे में बताया जाना चाहिए और युवा पीढ़ी को प्रेरित करने के लिए पाठ्यपुस्तकों में उनकी जीवन यात्रा और बलिदान के किस्सों को रोचक तरीके से लिखा जाना चाहिए।
स्वतंत्रता सेनानियों का जीवन आने वाली पीढियों के लिए प्रेरणा स्रोत बनना चाहिए – नायडू 
नायडू ने कहा, ‘‘अंग्रेजों ने अपने हिसाब से तोड़-मरोड़कर पेश किया है और भारत के दिग्गजों को उचित सम्मान नहीं दिया गया। इतना ही नहीं, अंग्रेजों ने यह सुनिश्चित करने का प्रयास भी किया है कि देश की शिक्षा प्रणाली में किसी न किसी प्रकार से औपनिवेशिक सोच बरकरार रहे।’’
हमें अपने बच्चों को इस भूमि के वीर सपूतों की कहानियां सिखानी चाहिए – उपराष्ट्रपति 
उन्होंने राजधानी स्थित ‘उपराष्ट्रपति निवास’ में पुणे की महाराष्ट्र एजुकेशन सोसाइटी की 160 साल की विरासत के ऐतिहासिक लेख ‘ध्यास पंथे चलता’ नामक पुस्तक का आभासी माध्यम से विमोचन करने के बाद यह बात कही।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें अपने बच्चों को इस भूमि के वीर सपूतों की कहानियां सिखानी चाहिए। स्कूली पाठ्यपुस्तकों में उनकी जीवन यात्रा के किस्सों का उल्लेख आकर्षक तरीके से करना चाहिए। यह मेरा विश्वास है कि हमारे स्वतंत्रता सेनानियों का जीवन आने वाली पीढियों के लिए प्रेरणा स्रोत बनना चाहिए।’’
ब्रिटिश शासन के तहत, देश के नायकों को उचित सम्मान नहीं दिया गया – नायडू 
उन्होंने खेद व्यक्त किया कि ब्रिटिश शासन के तहत, देश के नायकों को उचित सम्मान नहीं दिया गया था।
उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘दुर्भाग्य से, अंग्रेजों को भगाने और स्वतंत्रता प्राप्त करने में सक्षम होने के बाद, शिक्षा प्रणाली में हमारी कुछ औपनिवेशिक सोच बरकरार रही और इसे पूरी तरह से खत्म किया जाना चाहिए।’’
उन्होंने नयी शिक्षा नीति (एनईपी) को बेहद प्रेरणादायक बताया।
नायडू ने कहा, ‘‘मुझे विश्वास है कि एनईपी के सफल क्रियान्वयन से बच्चों और युवाओं के प्रति हमारा नजरिया बदल जाएगा। हमारे गौरवशाली इतिहास को किसी भी हीन भावना से मुक्त होना चाहिए।’’

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