देश के बॉर्डर की सुरक्षा करने वाले बीएसएफ (सीमा सुरक्षा बल) के जवान बड़ी मुस्तैदी के साथ पाकिस्तान, बांग्लादेश और म्यांमार से मादक पदार्थो की तस्करी पर रोक लगाने में जुटे हैं और उनके इन्हीं अथक प्रयासों का नतीजा है कि गत चार साल में हजारों किलोग्राम मादक पदार्थ को भारत में आने से रोका जा सका है। बीएसएफ के आंकड़ों के मुताबिक एक जनवरी 2019 से 25 जनवरी 2022 तक बीएसएफ ने पूर्वी सेक्टर में 45,874 किलोग्राम से अधिक मादक पदार्थ जब्त किया है जबकि पश्चिमी सेक्टर में 1,719 किलोग्राम से अधिक मादक पदार्थ जब्त किया गया है। अधिकारियों ने बताया कि तस्कर अक्सर नए-नए तरीके ईजाद करते हैं, जिससे मादक पदार्थ की खेप बीएसएफ की निगाह में न आ पाए लेकिन जवानों की सर्तकता हर बार उनके इरादे को धराशायी कर देती है। उन्होंने बताया कि, मादक पदार्थो की तस्करी के लिए बड़े पाइपों का सहारा लिया जाता है, पैकेटों में फेंकने के लिए बड़ी गुलेलों का सहारा लिया जाता है तो कभी ड्रोन के जरिए तस्करी के प्रयास किए जाते हैं। आंकड़ों के अनुसार पूर्वी सेक्टर में वर्ष 2019 में 12,238 किलोग्राम, वर्ष 2020 में 11,768 किलोग्राम, वर्ष 2021 में 19,474 किलोग्राम और इस साल 25 जनवरी तक 2,366 किलोग्राम से अधिक मादक पदार्थ जब्त किए गए।
मॉडल पदार्थों की तस्करी है बड़ी चुनौती
पश्चिमी सेक्टर में वर्ष 2019 में 304 किलोग्राम, वर्ष 2020 में 723 किलोग्राम , वर्ष 2021 में 645 किलोग्राम और इस साल 25 जनवरी तक 46 किलोग्राम से अधिक मादक पदार्थ जब्त किए गए । मादक पदार्थों की तस्करी को बीएसएफ के लिए निरंतर चुनौती बताते हुए बीएसएफ के सूत्रों ने कहा कि, सीमा पर तस्करी को रोकने के लिए सुरक्षाबल अपने दृष्टिकोण को लगातार उन्नत करता रहता है। उन्होंने कहा, हम इन गतिविधियों को रोकने के संभावित तरीकों की खोज जारी रखने की कोशिश करते हैं क्योंकि इससे राष्ट्रीय सुरक्षा को भी खतरा है। सूत्रों ने बताया कि कीमती धातुओं और हथियारों के अवैध व्यापार के अलावा याबा टैबलेट और फेनसेडिल कफ सिरप की तस्करी पूर्वी सेक्टर में बीएसएफ के लिये चुनौती बनी हुई है जबकि पश्चिमी सेक्टर के लिए हेरोइन की तस्करी अब भी चुनौती बनी हुई है।
कठिन इलाके और सीमा क्षेत्र में घरों के होने से अधिक हो पाती है प्रतिबंधित पदार्थों की तस्करी
बीएसएफ के महानिरीक्षक के. श्रीनिवासन (सेवानिवृत्त) ने पूर्वी सेक्टर में बड़ी मात्रा में मादक पदार्थो के जब्त किए जाने के कारणों के बारे में बताते हुए कहा कि, कठिन इलाके और सीमा क्षेत्र में घरों के होने से प्रतिबंधित पदार्थों की तस्करी अधिक हो पाती है। उन्होंने कहा, पूर्वी सेक्टर में कई जगहों पर लोग अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बने घरों में रह रहे हैं और कई जगहों पर घर का सामने का हिस्सा भारत में आता है जबकि उसके पीछे का हिस्सा बांग्लादेश में आता है। तस्करी इन्हीं जगहों के कारण अधिक हो पाती है। श्रीनिवासन ने कहा कि हालांकि, बीएसएफ का खुफिया नेटवर्क उन स्थानों पर नजर बनाये रखने में काफी मदद करता है। बीएसएफ और बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) मादक पदार्थो की तस्करी पर सूचनाओं का आदान-प्रदान करते हैं और हाल के वर्षों में दोनों देशों के सीमा सुरक्षा बलों ने ड्रग्स और अन्य वस्तुओं की तस्करी पर जानकारी साझा करने के लिये एक बेहतर और समन्वित तंत्र विकसित किया है।
ड्रोन की मदद से हो रही तस्करी खड़ी कर रही है बड़ी चुनौती
सूत्रों के अनुसार, सिविक एक्शन प्रोग्राम के तहत बीएसएफ स्थानीय आबादी के लिए चिकित्सा शिविर और अन्य पहलों का आयोजन करता है और एक खुफिया नेटवर्क विकसित करता है। यह नेटवर्क सुरक्षा बल को पूर्वी सेक्टर में नशीले पदार्थों की तस्करी या घुसपैठ के बारे में सूचित करता है। भारत से याबा टैबलेट और कफ सिरप फेनसेडिल की तस्करी भी बीजीबी के लिए एक चुनौती रही है और संयुक्त प्रयासों से बीएसएफ और बीजीबी तस्करी को रोकने में सफल रहे हैं। बांग्लादेश में शराब प्रतिबंधित है इसीलिये शराब के विकल्प के रूप में फेंसेडिल का इस्तेमाल किया जाता है। पश्चिमी सेक्टर में ड्रोन के माध्यम से मादक पदार्थों की तस्करी विशेष रूप से पंजाब में बीएसएफ के लिये एक बड़ी चुनौती पेश कर रही है और हाल ही में बीएसएफ ने ड्रग्स खासकर हेरोइन ले जाने वाले कई ड्रोन को मार गिराया है।
ड्रोन की पहचान के लिए डीआरडीओ के साथ काम कर रही है बीएसएफ
सूत्रों ने कहा कि बीएसएफ ड्रोनों की पूर्व पहचान के लिए रक्षा मंत्रालय की अनुसंधान शाखा रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) के साथ एंटी ड्रोन प्रौद्योगिकी पर काम कर रहा है। पिछले साल गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी करके पाकिस्तान, बांग्लादेश और म्यांमार की सीमा से लगे राज्यों में अपनी शक्तियों का प्रयोग करने के लिये बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र वाले इलाकों में संशोधन किया था। बीएसएफ अधिकारियों ने कहा कि इसने सीमावर्ती क्षेत्रों में बीएसएफ को तस्करी नेटवर्क पर कड़ी निगरानी रखने का अधिकार दिया है और इससे मादक पदार्थों की तस्करी को रोकने में अच्छा परिणाम मिला है। अफगानिस्तान में तालिबान के दोबारा सत्ता पर काबिज होने के बाद से लगातार आशंका बनी हुई है कि पाकिस्तानी आकाओं के इशारे पर पश्चिमी सीमा के जरिये भारत में मादक पदार्थ की खेप भेजी जायेगी। अधिकारियों ने कहा कि ऐसे में बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र का विस्तार करने का निर्णय सबसे उपयुक्त था।
मॉडल पदार्थों की तस्करी है बड़ी चुनौती
पश्चिमी सेक्टर में वर्ष 2019 में 304 किलोग्राम, वर्ष 2020 में 723 किलोग्राम , वर्ष 2021 में 645 किलोग्राम और इस साल 25 जनवरी तक 46 किलोग्राम से अधिक मादक पदार्थ जब्त किए गए । मादक पदार्थों की तस्करी को बीएसएफ के लिए निरंतर चुनौती बताते हुए बीएसएफ के सूत्रों ने कहा कि, सीमा पर तस्करी को रोकने के लिए सुरक्षाबल अपने दृष्टिकोण को लगातार उन्नत करता रहता है। उन्होंने कहा, हम इन गतिविधियों को रोकने के संभावित तरीकों की खोज जारी रखने की कोशिश करते हैं क्योंकि इससे राष्ट्रीय सुरक्षा को भी खतरा है। सूत्रों ने बताया कि कीमती धातुओं और हथियारों के अवैध व्यापार के अलावा याबा टैबलेट और फेनसेडिल कफ सिरप की तस्करी पूर्वी सेक्टर में बीएसएफ के लिये चुनौती बनी हुई है जबकि पश्चिमी सेक्टर के लिए हेरोइन की तस्करी अब भी चुनौती बनी हुई है।
कठिन इलाके और सीमा क्षेत्र में घरों के होने से अधिक हो पाती है प्रतिबंधित पदार्थों की तस्करी
बीएसएफ के महानिरीक्षक के. श्रीनिवासन (सेवानिवृत्त) ने पूर्वी सेक्टर में बड़ी मात्रा में मादक पदार्थो के जब्त किए जाने के कारणों के बारे में बताते हुए कहा कि, कठिन इलाके और सीमा क्षेत्र में घरों के होने से प्रतिबंधित पदार्थों की तस्करी अधिक हो पाती है। उन्होंने कहा, पूर्वी सेक्टर में कई जगहों पर लोग अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बने घरों में रह रहे हैं और कई जगहों पर घर का सामने का हिस्सा भारत में आता है जबकि उसके पीछे का हिस्सा बांग्लादेश में आता है। तस्करी इन्हीं जगहों के कारण अधिक हो पाती है। श्रीनिवासन ने कहा कि हालांकि, बीएसएफ का खुफिया नेटवर्क उन स्थानों पर नजर बनाये रखने में काफी मदद करता है। बीएसएफ और बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) मादक पदार्थो की तस्करी पर सूचनाओं का आदान-प्रदान करते हैं और हाल के वर्षों में दोनों देशों के सीमा सुरक्षा बलों ने ड्रग्स और अन्य वस्तुओं की तस्करी पर जानकारी साझा करने के लिये एक बेहतर और समन्वित तंत्र विकसित किया है।
ड्रोन की मदद से हो रही तस्करी खड़ी कर रही है बड़ी चुनौती
सूत्रों के अनुसार, सिविक एक्शन प्रोग्राम के तहत बीएसएफ स्थानीय आबादी के लिए चिकित्सा शिविर और अन्य पहलों का आयोजन करता है और एक खुफिया नेटवर्क विकसित करता है। यह नेटवर्क सुरक्षा बल को पूर्वी सेक्टर में नशीले पदार्थों की तस्करी या घुसपैठ के बारे में सूचित करता है। भारत से याबा टैबलेट और कफ सिरप फेनसेडिल की तस्करी भी बीजीबी के लिए एक चुनौती रही है और संयुक्त प्रयासों से बीएसएफ और बीजीबी तस्करी को रोकने में सफल रहे हैं। बांग्लादेश में शराब प्रतिबंधित है इसीलिये शराब के विकल्प के रूप में फेंसेडिल का इस्तेमाल किया जाता है। पश्चिमी सेक्टर में ड्रोन के माध्यम से मादक पदार्थों की तस्करी विशेष रूप से पंजाब में बीएसएफ के लिये एक बड़ी चुनौती पेश कर रही है और हाल ही में बीएसएफ ने ड्रग्स खासकर हेरोइन ले जाने वाले कई ड्रोन को मार गिराया है।
ड्रोन की पहचान के लिए डीआरडीओ के साथ काम कर रही है बीएसएफ
सूत्रों ने कहा कि बीएसएफ ड्रोनों की पूर्व पहचान के लिए रक्षा मंत्रालय की अनुसंधान शाखा रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) के साथ एंटी ड्रोन प्रौद्योगिकी पर काम कर रहा है। पिछले साल गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी करके पाकिस्तान, बांग्लादेश और म्यांमार की सीमा से लगे राज्यों में अपनी शक्तियों का प्रयोग करने के लिये बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र वाले इलाकों में संशोधन किया था। बीएसएफ अधिकारियों ने कहा कि इसने सीमावर्ती क्षेत्रों में बीएसएफ को तस्करी नेटवर्क पर कड़ी निगरानी रखने का अधिकार दिया है और इससे मादक पदार्थों की तस्करी को रोकने में अच्छा परिणाम मिला है। अफगानिस्तान में तालिबान के दोबारा सत्ता पर काबिज होने के बाद से लगातार आशंका बनी हुई है कि पाकिस्तानी आकाओं के इशारे पर पश्चिमी सीमा के जरिये भारत में मादक पदार्थ की खेप भेजी जायेगी। अधिकारियों ने कहा कि ऐसे में बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र का विस्तार करने का निर्णय सबसे उपयुक्त था।