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बसपा सुप्रीमो ने मोदी सरकार पर साधा निशाना, बोलीं- बजट पार्टी से ज्यादा देश के लिए हो तो बेहतर है

मायावती ने केंद्रीय बजट पर अपनी प्रतिक्रिया में बुधवार को कहा कि लोग उम्मीदों के सहारे जीते हैं, लेकिन झूठी उम्मीदें क्यों? उन्होंने कहा कि बजट पार्टी से ज्यादा देश के लिए हो तो बेहतर होता है क्योंकि देश के 130 करोड़ गरीब, मजदूर, वंचित और किसान अपने अमृतकाल को तरस रहे हैं।

बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने केंद्रीय बजट पर अपनी प्रतिक्रिया में बुधवार को कहा कि लोग उम्मीदों के सहारे जीते हैं, लेकिन झूठी उम्मीदें क्यों? उन्होंने कहा कि बजट पार्टी से ज्यादा देश के लिए हो तो बेहतर होता है क्योंकि देश के 130 करोड़ गरीब, मजदूर, वंचित और किसान अपने अमृतकाल को तरस रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले नौ वर्षो में भी केन्द्र सरकार के बजट आते-जाते रहे जिसमें घोषणाओं, वादों, दावों व उम्मीदों की बरसात की जाती रही लेकिन मध्यम वर्ग महंगाई व बेरोजगारी के कारण निम्न मध्यम वर्ग बन गया हैं ।
बजट के बाद मायावती ने ट्वीट कर कहा,”केन्द्र सरकार जब भी योजना लाभार्थियों के आँकड़ों की बात करे तो उसे यह जरूर याद रखना चाहिए कि भारत लगभग 130 करोड़ गरीबों, मजदूरों, वंचितों, किसानों आदि का विशाल देश है जो अपने अमृतकाल को तरस रहे हैं। उनके लिए बातें ज्यादा हैं। बजट पार्टी से ज्यादा देश के लिए हो तो बेहतर।” उन्होंने कहा”देश में पहले की तरह पिछले 9 वर्षों में भी केन्द्र सरकार के बजट आते-जाते रहे जिसमें घोषणाओं, वादों, दावों व उम्मीदों की बरसात की जाती रही, किन्तु वे सब बेमानी हो गए जब भारत का मिडिल क्लास महंगाई, गरीबी व बेरोजगारी आदि की मार के कारण निम्न मिडिल क्लास बन गया, अति-दुखद।”
मायावती ने कहा,”इस वर्ष का बजट भी कोई ज्यादा अलग नहीं। पिछले साल की कमियाँ कोई सरकार नहीं बताती और नए वादों की फिर से झड़ी लगा देती है जबकि जमीनी हकीकत में 100 करोड़ से अधिक जनता का जीवन वैसे ही दांव पर लगा रहता है जैसे पहले था। लोग उम्मीदों के सहारे जीते हैं, लेकिन झूठी उम्मीदें क्यों?” उन्होंने कहा कि सरकार की संकीर्ण नीतियों व गलत सोच का सर्वाधिक दुष्प्रभाव उन करोड़ों गरीबों, किसानों व अन्य मेहनतकश लोगों के जीवन पर पड़ता है जो ग्रामीण भारत से जुड़े हैं और असली भारत कहलाते हैं। सरकार उनके आत्म-सम्मान व आत्मनिर्भरता पर ध्यान दे ताकि देश विकसित हो।

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