नई दिल्ली: हाल ही पूर्व राष्ट्रपति नागपुर में आरएसएस के एक कार्यक्रम में शामिल हुए। वैसे तो पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी किसी सियासी दल में नहीं हैं। लेकिन उनके नागपुर में आरएसएस के कार्यक्रम में शामिल होने से पहले और उसके बाद राजनीतिक दल एक दूसरे पर निशाना साध रहे हैं। कांग्रेस में खलबली मची थी, यहां तक प्रणव दा की बेटी ने उनको हिदायतें दे डाली। कार्यक्रम में शामिल होने से पहले प्रणब मुखर्जी की कांंग्रेस के नेता आलोचना करते थकते नहीं थे। ये बात अलग है कि बाद में उनके सुर बदल गए। इन सबके बीच बीजेपी की सहयोगी शिवसेना अलग सिद्धांत के साथ सामने आई है। शिवसेना का कहना है कि एक बड़े उद्देश्य को हासिल करने के लिए आरएसएस ने प्रणब को अपने मंच पर बुलाया था।
शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि हमें ऐसा लगता है कि आरएसएस अपने आप को इस बात के लिए तैयार कर रही है कि अगर 2019 में बीजेपी पर्याप्त संख्या बल जुटाने में नाकाम रहती है तो वो प्रणब मुखर्जी का नाम पीएम पद के लिए सामने रख सकती है। शिवसेना का मानना है कि 2019 में बीजेपी को कम से कम 110 सीटों का नुकसान होगा।इससे पहले सामना के संपादकीय में आरएसएस के मंच पर प्रणब मुखर्जी की मौजूदगी को लेकर शिवसेना ने तंज कसा था। सामना के संपादकीय में इस बात का जिक्र है कि आरएसएस को यकीन हो चला है कि 2019 में बीजेपी सरकार बनाने नहीं जा रही है, लिहाजा वो अभी से इस तरह की रणनीति पर काम कर रही है। आरएसएस का मानना है कि त्रिशंकु लोकसभा की स्थिति प्रणब के नाम पर ज्यादातर दल सहमत हो सकते हैं।
शिवसेना और बीजेपी के रिश्तों में तल्खी पहले से ही है। ये तल्खी पालघर संसदीय उपचुनाव को लेकर और ज्यादा बढ़ गई थी। शिवसेना का कहना था कि बीजेपी अब किसी तरह से सत्ता में बने रहने की कोशिश कर रही है। गठबंधन धर्म को वो लोग भूल रहे हैं। शिवसेना के इन आरोपों पर बीजेपी ने जबरदस्त अंदाज में निशाना साधा। बीजेपी के नेताओं का कहना था कि शिवसेना दबाव की राजनीति कर रही है। गठबंधन धर्म की याद दिलाने वालों को ये सोचना चाहिए कि आखिर वो क्या कर रहे हैं।
बता दें कि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने संपर्क फॉर समर्थन अभियान के तहत मातोश्री जाकर उद्धव ठाकरे से मुलाकात की थी। उद्धव ठाकरे से मुलाकात के बाद बीजेपी नेताओं ने कहा कि जरूरत पड़ने पर हम कई दफा मातोश्री जा सकते हैं। मातोश्री में अमित शाह का जाना ये अपने आप में इस बात की गवाही देता है कि उनके मन में न तो किसी तरह का द्वेष है न ही अहंकार। देश की भलाई के लिए, गठबंधन धर्म की मर्यादा को अक्षुण्ण रखने के लिए वो समान विचार वाले व्यक्तियों से मिल सकते हैं। बताया जाता है कि आम चुनाव के लिए सीटों के बंटवारे पर शिवसेना को आपत्ति नहीं है। लेकिन विधानसभा में वो मौजूदा व्यवस्था के तहत ही चुनाव में जाना चाहते हैं।
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