कोरोना के चलते अनाथ हुए बच्चों की पहचान में हो रही देरी पर SC ने केंद्र व राज्य सरकारों को लताड़ा, कहा- विलंब बर्दाश्त नहीं - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

कोरोना के चलते अनाथ हुए बच्चों की पहचान में हो रही देरी पर SC ने केंद्र व राज्य सरकारों को लताड़ा, कहा- विलंब बर्दाश्त नहीं

उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि कोविड-19 के चलते अपने माता-पिता को गंवा चुके बच्चों की पहचान में अब और विलंब बर्दाश्त नहीं है।

देश में कोरोना वायरस महामारी ने किस हत तक तबाही मचाई, इसका प्रमाण सबके सामने है। तो वहीं, अभी भी कोरोना वायरस की दूसरी लहर का प्रकोप टला नहीं है। कोरोना महामारी के दौरान कई बच्चों पर से मां-पिता का साया छिन गया और न जाने कितने ही बच्चे बेघर हो गए। 
उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि कोविड-19 के चलते अपने माता-पिता को गंवा चुके बच्चों की पहचान में अब और विलंब बर्दाश्त नहीं है। इसके साथ ही न्यायालय ने राज्य सरकारों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने और मार्च, 2020 के बाद अनाथ हुए बच्चों की संख्या का ब्योरा देने का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति एन नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की पीठ ने जिलाधिकारियों को अनाथों की पहचान के लिए जिला बाल संरक्षण अधिकारियों को पुलिस, नागरिक समाज, ग्राम पंचायतों, आंगनवाडी एवं आशाकर्मियों की मदद लेने के लिये जरूरी दिशानिर्देश जारी करने का निर्देश दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह किशोर न्याय (बाल देखभाल एवं संरक्षण) अधिनियम एवं नियमावली में उपलब्ध प्रणालियों के अतिरिक्त होगा। पीठ ने कहा, ‘‘ मार्च, 2020 के बाद जिन बच्चों ने अपने माता-पिता गंवाये हैं , उनकी पहचान में कोई और विलंब नहीं होगा। ’’
पीठ ने कहा कि जिलाधिकारियों को राष्ट्रीय बाल अधिकार सुरक्षा आयोग के बाल स्वराज पेार्टल पर सूचनाएं लगातार अपलोड करने का निर्देश दिया जाता है। पीठ ने यह भी कहा कि बाल कल्याण समितियों को इस अधिनियम के तहत निर्धारित समय सीमा में जांच पूरी करने एवं अनाथों को सहायता एवं पुनर्वास प्रदान करने का निर्देश दिया जाता है।
पीठ न कहा, ‘‘ सभी राज्य सरकारों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को मार्च, 2020 के बाद अनाथ हुए बच्चों की संख्या का ब्योरा देते हुए स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया जाता है। उसमें बच्चों की संख्या और राज्य सरकारों द्वारा उनतक पहुंचाये गये योजनाओं का लाभ का ब्योरा आदि हो। ’’
शीर्ष अदालत ने राज्यों को समेकित बाल विकास सेवाएं योजना के तहत जरूरतमंद अनाथ बच्चों को दी गयी 2000 रूपये की मौद्रिक सहायता का विवरण पेश करने का भी निर्देश दिय। न्यायालय ने ऐसे बच्चों की शिक्षा के संदर्भ में राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि अनाथ बच्चे जहां भी — सरकारी या निजी विद्यालय में पढ़ रहे हों, इस अकादिमक वर्ष में वहीं उनकी पढ़ाई लिखा जारी रहे, तथा किसी मुश्किल की स्थिति में शिक्षा के अधिकार कानून के तहत समीप के विद्यालय में उसका दाखिला किया जाए। 
शीर्ष अदालत ने न्याय मित्र नियुक्त किये गये वकील गौरव अग्रवाल की रिपोर्ट पर गौर करते हुए यह निर्देश दिये। न्यायालय कोविड19 से अनाथ हुए बच्चों की पहचान के लिए स्वत: संज्ञान लेकर मामले की सुनवाई कर रहा था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

five × three =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।