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तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद महुआ मोइत्रा ने लोकसभा सदस्यता छीने जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महुआ मोइत्रा की लोकसभा से अपने निष्कासन को चुनौती देने वाली याचिका को सूचीबद्ध करने पर भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ फैसला लेंगे।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और सुधांशु धूलिया की पीठ के समक्ष मोइत्रा की याचिका का, तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए उल्लेख किया गया।न्यायमूर्ति कौल ने याचिका का उल्लेख करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी से कहा, ''इस पर सीजेआई फैसला लेंगे।''न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ पांच-न्यायाधीशों की उस संविधान पीठ का नेतृत्व कर रहे हैं जो बुधवार को एक मामले की सुनवाई के लिए बैठी।
लोकसभा में आचार समिति की उस रिपोर्ट को मंजूर कर लिया गया जिसमें तृणमूल कांग्रेस की नेता महुआ मोइत्रा को 'पैसे लेकर सवाल पूछने' के मामले में 'अनैतिक एवं अशोभनीय आचरण' का जिम्मेदार ठहराया गया था।संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने आठ दिसंबर को हंगामेदार चर्चा के बाद लोकसभा में मोइत्रा के निष्कासन का प्रस्ताव पेश किया जिसे सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। चर्चा में मोइत्रा को खुद का पक्ष रखने का मौका नहीं मिला था।
इसके बाद तृणमूल नेता ने लोकसभा से अपने निष्कासन को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया है।अपने निष्कासन पर प्रतिक्रिया देते हुए मोइत्रा ने इस फैसले की तुलना ''कंगारू अदालत'' द्वारा सजा दिए जाने से करते हुए आरोप लगाया कि सरकार लोकसभा की आचार समिति को, विपक्ष को झुकने के लिए मजबूर करने का हथियार बना रही है।