केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) विश्वसनीय जानकारी हासिल करने के बाद सीधे मामला दर्ज कर सकती है, जो संज्ञेय अपराध का खुलासा करती है। जांच एजेंसी के लिए मामला दर्ज करने से पहले प्रारंभिक जांच (पीई) करना अनिवार्य नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अपने फैसले में यह बात कही।
न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा कि चूंकि सीआरपीसी के तहत पीई की संस्था अनिवार्य नहीं है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट के लिए निर्देश जारी करना विधायी क्षेत्र पर कदम रखना होगा। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि अगर सीबीआई प्रारंभिक जांच नहीं करने का फैसला करती है, तो आरोपी इसे अधिकार के रूप में नहीं मांग सकता है।
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फैसला सुनाते हुए पीठ ने कहा कि हाई कोर्ट ने आरोपी को उसके अपराध से बरी करने के लिए एक चार्टर्ड एकाउंटेंट की भूमिका निभाई। सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि सीबीआई विश्वसनीय जानकारी मिलने पर सीधे मामले दर्ज कर सकती है और भ्रष्टाचार के हर मामले में प्रारंभिक जांच करने का न्यायिक निर्देश नहीं हो सकता है। हालांकि, पीठ ने कहा कि सीबीआई उचित मामलों में पीई करने के लिए स्वतंत्र होगी।
पीठ ने कहा कि यह तर्क दिया गया था कि क्या सीबीआई मामला भी दर्ज कर सकती है क्योंकि तेलंगाना सरकार ने सीबीआई से सामान्य सहमति वापस ले ली थी। हालांकि, पीठ ने इस पहलू पर ध्यान देने से परहेज किया और सवाल खुला रखा। मामले में विस्तृत निर्णय बाद में दिन में अपलोड किया जाएगा।