केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए बुधवार को एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड के पूर्व अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक (सीएमडी) ऋषि कमलेश अग्रवाल को गिरफ्तार कर लिया। देश की अग्रणी जहाज निर्माण कंपनी एबीजी शिपयार्ड पर 2005 से 2012 के बीच लगभग सात वर्षों में 28 बैंकों से 22842 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने का आरोप है। इस धोखाधड़ी में आईसीआईसीआई बैंक को सबसे अधिक 7089 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
इसके बाद आईडीबीआई पर 3639 करोड़ रुपये, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया पर 2925 करोड़ रुपये, बैंक ऑफ बड़ौदा पर 1614 करोड़ रुपये और पंजाब नेशनल बैंक पर 1244 करोड़ रुपये की रंगदारी का आरोप है। सीबीआई ने मामले की जांच अपने हाथ में लेते हुए इस साल फरवरी में धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया था। जिसे अब तक का सबसे बड़ा बैंक फ्रॉड माना जा रहा है। जांच एजेंसी ने इस संबंध में अग्रवाल से कई बार पूछताछ भी की थी।
पुख्ता सबूतों के बाद हुई गिरफ्तारी
एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर हिंदुस्तान टाइम्स को बताया, ठोस सबूतों के आधार पर अग्रवाल को बुधवार को गिरफ्तार किया गया। पूछताछ के दौरान अग्रवाल ने भी जवाब देने से परहेज किया। अग्रवाल के वकील विजय अग्रवाल ने गिरफ्तारी पर आश्चर्य जताया है। उन्होंने कहा है कि सीबीआई के इतने सहयोग के बावजूद मेरे मुवक्किल को गिरफ्तार किया गया है। सीबीआई की जांच में खुलासा हुआ है कि अग्रवाल और उनकी कंपनी एबीजी से जुड़ी 100 से ज्यादा फर्जी कंपनियों द्वारा बैंकों से लिए गए बड़े पैसे को देश के साथ-साथ विदेशों में भी डायवर्ट करने की संभावना हो सकती है।
2013 में ऋण को एनपीए घोषित किया गया
फरवरी में एक बयान में, सीबीआई ने कहा था कि एबीजी शिपयार्ड के खाते में अधिकांश भुगतान 2005 और 2012 के बीच किए गए थे। इसके बाद, बैंक से प्राप्त ऋण को 30 नवंबर, 2013 को गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) में बदल दिया गया था। जब एबीजी शिपयार्ड पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया था, उस समय केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए (2004-2014) सरकार थी।
एसबीआई ने दर्ज कराई थी पहली शिकायत
भारतीय स्टेट बैंक ने इस मामले में सबसे पहले 8 नवंबर 2019 को सीबीआई में शिकायत दर्ज कराई थी। जिसके बाद एजेंसी ने 12 मार्च 2020 को कुछ स्पष्टीकरण मांगा था। बैंक ने फिर उसी साल अगस्त में एक नई शिकायत दर्ज की। सीबीआई ने करीब डेढ़ साल तक शिकायत की जांच के बाद सात फरवरी को प्राथमिकी दर्ज की थी।