रेलवे की तत्काल टिकट बुक न होने के पीछे एक बड़े घोटाले का मामला सामने आया है। सीबीआई ने इस घोटाले का पर्दाफाश किया। टिकट आरक्षण प्रणाली का अवैध सॉफ्टवेयर तैयार करने के आरोप में सीबीआई ने अपने ही सॉफ्टवेयर प्रोग्रामर अजय गर्ग को बुधवार को गिरफ्तार कर लिया। जांच एजेंसी ने तत्काल टिकट में गड़बड़ी के मामले में देशभर में 14 जगहों पर छापेमारी भी की। मामले में यूपी के जौनपुर से सात और मुंबई से तीन एजेंटों की पहचान की गई है।
सीबीआइ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अजय गर्ग के बनाए सॉफ्टवेयर को बुकिंग एजेंटों तक अनिल कुमार गुप्ता नाम के आदमी तक पहुंचाता था। अनिल जौनपुर का रहने वाला है। अजय मौजूदा समय में सीबीआई में असिस्टेंट प्रोग्रामर है। वह चार साल तक आईआरसीटीसी में काम कर चुका था। यही से उसने रेलवे टिकट प्रणाली के बारे में जानकारी हासिल की थी। वह 2012 में सीबीआई में शामिल हुआ था।
कंप्यूटर एप्लीकेशन में पोस्टग्रेजुएट गर्ग को आईआरसीटीसी आरक्षण प्रणाली की कमिया पता थीं जिसका उसने फायदा उठाकर अवैध सॉफ्टवेयर तैयार किया, जिससे वह तत्काल टिकटों के आरक्षण में धांधली करता था। एजेंटों को अजय गर्ग के बारे में कोई जानकारी नहीं होती थी। एक बार सॉफ्टवेयर मिलने के बाद बुकिंग एजेंट एक साथ सैंकड़ों तत्काल बुक कर सकता था और इसके लिए आम लोगों से अधिक कीमत वसूलता था।
तत्काल टिकट से होने वाली अतिरिक्त कमाई का एक हिस्सा अनिल कुमार गुप्ता के पास जाता था, जो बाद में अजय गर्ग तक उसका हिस्सा पहुंचा देता था। सीबीआइ को अभी तक मिली जानकारी के मुताबिक अजय गर्ग का यह खेल पिछले एक साल से जारी था। अजय गर्ग के बनाये गए अवैध सॉफ्टवेयर के कारण जब यात्री आईआरसीटीसी की असली वेबसाइट पर पूरी जानकारी भरते हैं तभी वेबसाइट हैंग हो जाती है। इसके बाद कंफर्म होने वाला टिकट वेटिंग में हो जाता है क्योंकि इसी दौरान अवैध सॉफ्टवेयर से टिकट बुक हो जाता है।
गर्ग के सॉफ्टवेयर से भी पता चल जाता है कि कितनी टिकट बुक हुई हैं। उसी हिसाब से ये लोग टिकट बुकिंग में गड़बड़ी करते थे। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यूपीएससी के मार्फत सीबीआइ में आने के पहले अजय गर्ग आइआरसीटीसी में प्रोग्रामर था। आइआरसीटीसी में 2007 से 2011 के बीच नौकरी करते हुए उसने उसकी वेबसाइट की खामियों को पहचाना और नया सॉफ्टवेयर बनाकर उसे कमाई की साजिश में जुट गया। एफआइआर दर्ज करने के साथ ही सीबीआइ अजय गर्ग और अनिल कुमार गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया है।
अजय गर्ग को पांच दिन की रिमांड पर भेज दिया गया है। अनिल कुमार गुप्ता को ट्रांजिट रिमांड पर दिल्ली लाया जा रहा है। दिल्ली, मुंबई और उत्तर प्रदेश में की गई छापेमारी में 89 लाख रुपये नकद, दो सोने के बिस्कुट, 61 लाख रुपये की ज्वैलरी, 15 लैपटॉप, 15 हार्ड डिस्क, 52 मोबाइल फोन, 24 सिम कार्ड , 6 वाईफाई राउटर, चार इंटरनेट डोंगल और 19 पेन ड्राइव समेत अन्य सामान जब्त किया गया है।
अक्तूबर महीने में भी लखनऊ से भी तत्काल टिकट के फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ था। यहां से गिरफ्तार एक एजेंट ने बताया था कि वह रेड मिर्ची सॉफ्टवेयर के जरिए 2 सेकेंड में एक तत्काल टिकट बुक कर लेता था। इस सॉफ्टवेयर के लिए उस हर महीने 5400 रुपये देने होते थे।
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