एलएसी को लेकर भारत और चीन के बीच विवाद लगातार जारी है। वहीं सीमा विवाद को हल करने और सेना को पीछे हटाने को लेकर भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख के चुशूल में एक बार फिर सैन्य वार्ता शुरू हो गई है। इस बीच शुक्रवार को प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने चीन को कड़ा संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं। हमारा रुख स्पष्ट है, हम वास्तविक नियंत्रण रेखा में कोई बदलाव स्वीकार नहीं करेंगे।
रक्षा अध्यक्ष ने कहा कि चीन की पीएलए लद्दाख में अपने दुस्साहस को लेकर भारतीय बलों की मजबूत प्रतिक्रिया के कारण अप्रत्याशित परिणाम का सामना कर रही है। उन्होंने कहा कि सीमा पर झड़पों और बिना उकसावे के सैन्य कारवाई के बड़े संघर्ष में तबदील होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। बिपिन रावत ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान के लगातार छद्म युद्ध और भारत के खिलाफ दुष्ट बयानबाजी के कारण भारत और पाकिस्तान के संबंध और भी खराब हो गए हैं।
सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने कहा कि आने वाले वर्षों में, हम अपने रक्षा उद्योग को तेजी से बढ़ाएंगे और समग्र रक्षा तैयारियों पर जोर देते हुए भारत में अत्याधुनिक हथियारों और उपकरणों को उपलब्ध कराएंगे। नेशनल डिफेंस कॉलेज द्वारा आयोजित डायमंड जुबली वेबिनार, 2020 में सीडीएस प्रमुख ने कहा कि जहां तक रक्षा सहयोग का सवाल है, हम रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण देशों के साथ आपसी विश्वास और साझेदारी बनाने में रक्षा कूटनीति का महत्व समझते हैं।
उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे भारत कद में बढ़ रहा है, सुरक्षा चुनौतियां आनुपातिक रूप से बढ़ेंगी। हमें अपनी सैन्य आवश्यकताओं के लिए प्रतिबंधों या व्यक्तिगत राष्ट्रों पर निर्भरता के निरंतर खतरे से बाहर निकलना होगा और रणनीतिक स्वतंत्रता के लिए दीर्घकालिक स्वदेशी क्षमता के निर्माण में निवेश करना होगा।
उल्लेखनीय है कि पूर्वी लद्दाख में हाड़ जमा देने वाली ठंड में भारत के लगभग 50,000 सैनिक किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पर्वतीय ऊंचाइयों पर तैनात हैं। छह महीने से चले आ रहे इस गतिरोध को लेकर दोनों देशों के बीच पूर्व में हुई कई दौर की बातचीत का अब तक कोई ठोस परिणाम नहीं निकला है। अधिकारियों के अनुसार चीनी सेना ने भी लगभग 50,000 सैनिक तैनात कर रखे हैं। भारत कहता रहा है कि सैनिकों को हटाने और तनाव कम करने की जिम्मेदारी चीन की है।