पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर बीते दिनों हुई कार्रवाई के बाद केंद्र ने कड़ा रुख अपनाते हुए संगठन को पांच साल के लिए बैन कर दिया है। सरकार के इस फैसले का कुछ लोग विरोध कर रहे हैं तो कई जगहों पर जश्न का माहौल है। उत्तर प्रदेश के कानपुर में PFI पर बैन के बाद पटाखे जलाए गए।
वहीं महाराष्ट्र के पुणे में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के कार्यकर्ताओं ने आम स्थानीय लोगों के बीच लड्डू बांटे और पटाखे फोड़े। वहीं नवी मुंबई में पुलिस सुरक्षा के बीच PFI कार्यालय से होर्डिंग हटा दिए गए हैं। PFI पर लगे प्रतिबंद को लेकर तरह-तरह की प्रतिक्रिया सामने आ रही है।
PFI पर लगे बैन पर ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शाहबुद्दीन रज़वी ने भी बयान दिया। उन्होंने कहा कि सरकार ने कट्टरपंथी संगठन PFI पर प्रतिबंध लगाकर अच्छा कदम उठाया है। भारत की सरज़मीं कट्टरपंथी विचारधारा की सरज़मीं नहीं है और न यहां ऐसी कट्टरपंथी विचारधारा पनप सकती जिससे मुल्क़ की एकता-अखंडता को खतरा हो।
ISIS से PFI के लिंक
PFI पर बैन का ऐलान करते हुए गृह मंत्रालय ने कहा कि PFI के वैश्विक आतंकवादी समूहों जैसे कि आईएसआईएस से लिंक के उदाहरण मिले हैं। इससे जुड़ी संस्थाएं देश में असुरक्षा की भावना पैदा कर कट्टरपंथ को बढ़ाने का काम कर रही हैं। पीएफआई के संस्थापक कई सदस्य सिमी के भी सदस्य रह चुके हैं।
केंद्र ने PFI समेत इन संगठनों पर भी प्रतिबंध लगाया है। जिसमें कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया, रिहैब इंडिया फाउंडेशन, ऑळ इंडिया इमाम काउंसिल, नेशनल कन्फेडेरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइंजेशन, विमेंस फ्रंट, जूनियर फंर्ट, एंपावर इंडिया फाउंडेशन, स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) और रिहैब फाउंडेशन शामिल हैं।