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केंद्र ने PFI पर लगाया प्रतिबंध, IS से कनेक्शन और कट्टरवाद को बढ़ावा जैसी वजहें बनी कारण

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के खिलाफ देशभर में बीते दिनों हुई कार्रवाई के बाद केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला किया है। केंद्र ने पीएफआई पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके साथ ही पीएफआई के विभिन्न सहयोगी सगठनों पर भी 5 साल का बैन लगाया गया है। गृह मंत्रालय के मुताबिक, पीएफआई और उसके सहयोगी संगठनों का संबंध स्लामिक स्टेट ऑफ इराक (ISIS) एंड सीरिया जैसे अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठनों से है। केंद्र के इस फैसले की बीजेपी जमकर सराहना कर रही है।

गृह मंत्रालय की तरफ से जारी अधिसूचना में पीएफआई पर एक्शन की कई वजहें गिनाई। गृह मंत्रालय ने कहा है कि पीएफआई के वैश्विक आतंकवादी समूहों जैसे कि आईएसआईएस से लिंक के उदाहरण मिले हैं। इससे जुड़ी संस्थाएं देश में असुरक्षा की भावना पैदा कर कट्टरपंथ को बढ़ाने का काम कर रही हैं। पीएफआई के संस्थापक कई सदस्य सिमी के भी सदस्य रह चुके हैं।  

PFI के इन सहयोगी संगठनों पर भी बैन 

PFI समेत इन संगठनों पर भी केंद्र ने प्रतिबंध का ऐलान किया है। जिसमें कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया, रिहैब इंडिया फाउंडेशन, ऑळ इंडिया इमाम काउंसिल, नेशनल कन्फेडेरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइंजेशन, विमेंस फ्रंट, जूनियर फंर्ट, एंपावर इंडिया फाउंडेशन, स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) और रिहैब फाउंडेशन शामिल हैं। 

क्या है SIMI

सिमी 'स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया' (Students' Islamic Movement of India) एक प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन है जिसका गठन अप्रैल 1977 में उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में किया गया था। सिमी ने भारत के खिलाफ जिहाद की घोषणा की है।

आतंकी मामलो से PFI का कनेक्शन 

पीएफआई के कर्मकांडो का खुलासा करते हुए गृह मंत्रालय ने कहा है कि यह आतंकी मामलों में शामिल रहा है और देश के संवैधानिक प्राधिकार का अनादर करता है और बाहरी स्रोतों से फंड प्राप्त करके भारत की आंतरिक सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने का काम कर रहा है। 

इसके अलावा यह भी स्पष्ट हुआ है कि PFI हिंसक और विध्वंसक कार्यों में लिप्त है। एक कॉलेज के प्रोफेस का हाथ काटना, अन्य धर्मों का पालन करने वाले संगठनों से जुड़े लोगों की निर्मम हत्या करना, प्रमुख लोगों और स्थानों को निशाना बनाने के लिए विस्फोटक प्राप्त करना और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के सबूत हासिल हुए हैं।

हत्याओं में शामिल है PFI 

मंत्रालय के अनुसार, देश में कई लोगों की हत्या को भी PFI ने अंजाम दिया। तमिनलनाडु के वी रामलिंगम, केरल के नंदू, कर्नाटक के आर रूद्रेश, प्रवीण पुजारी, तमिलनाडु के शशि कुमार और प्रवीण नेतारू हत्याकांड में पीएफआई का हाथ है। इसके अलावा पीएफआई के सदस्य सीरिया, ईराक और अफगानिस्तान जाकर आतंकी समूहों में भी शामिल हुए हैं। 

BJP ने किया केंद्र के फैसले का स्वागत

PFI को लेकर केंद्र के फैसले को सराहनीय बताते हुए उ.प्र. के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने कहा, PFI की असामाजिक गैरकानूनी गतिविधियां लगातार जारी थी। विभिन्न जांच एजेंसियां जांच कर रही थी। जो तथ्य प्रकाश में आए हैं उन्हें देखते हुए गृह मंत्रालय ने जो निर्णय लिया है उसकी पूरे देश ने सराहना की है।

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि मैं भारत सरकार द्वारा PFI पर प्रतिबंध लगाने के फैसले का स्वागत करता हूं। सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए दृढ़ है कि भारत के खिलाफ विभाजनकारी या विघटनकारी डिजाइन से सख्ती से निपटा जाएगा।

देश की अखंडता के लिए PFI पर बैन जरूरी

वहीं कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा, इस संगठन पर प्रतिबंध लगाने का समय आ गया था। भारत सरकार ने सही फैसला लिया है। यह सभी राष्ट्र विरोधी समूहों के लिए एक संदेश है। मैं लोगों से ऐसे संगठनों से नहीं जुड़ने का आग्रह करता हूं। इसके साथ ही बीजेपी महासचिव अरुण सिंह ने कहा कि देश को अखंड रखने के लिए पीएफआई पर प्रतिबंध जरूरी था।

देशभर में PFI के खिलाफ एक्शन

उल्लेखनीय है कि बीते दिनों केंद्रीय एजेंसियो NIA, ED और राज्यों की पुलिस द्वारा देशभर के कई स्थानों पर PFI के खिलाफ ताबड़तोड़ एक्शन हुए। इस दौरान संगठन से जुड़े लगभग 400 लोग गिरफ्तार और हिरासत में लिए गए। इनमें कई शीर्ष नेता भी शामिल हैं। एक्शन को लेकर कई राज्यों में पीएफआई कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन भी किए।