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धन शोधन से जुड़ी मुफ्ती की याचिका पर केंद्र का दावा, कहा- सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर किए जाने का करेंगे आग्रह

केंद्र ने मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि वह धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के एक प्रावधान को चुनौती देने वाली पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की याचिका उच्चतम न्यायालय में स्थानांतरित किए जाने का अनुरोध करेगा।

देश की केंद्रीय जांच एजेंसी कई नेताओं पर धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) मामले के अंतर्गत केस दर्ज करती है। लेकिन इस बार इस कानून में एक धारा को चुनौती मिली है, कि वो भेदभावपूर्ण भाव पैदा करती है। इस मसले पर केंद्र ने मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि वह धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के एक प्रावधान को चुनौती देने वाली पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की याचिका उच्चतम न्यायालय में स्थानांतरित किए जाने का अनुरोध करेगा। केंद्र के रुख के मद्देनजर मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह ने जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री की याचिका पर सुनवाई 30 सितंबर तक स्थगित कर दी।
केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, ‘‘पीएमएलए के विभिन्न प्रावधानों और योजना से संबंधित कई याचिकाएं लंबित हैं। मामला विशेष पीठ के पास भेजा गया है और पक्षकारों ने एक-दूसरे से सवाल किए हैं, जिसमें से एक सवाल सीधे तौर पर यहां किया गया है।’’ अदालत ने सॉलिसिटर जनरल से सवाल किया, ‘‘क्या हम कह सकते हैं कि आप याचिका स्थानांतरित करना चाहेंगे?’’ इस पर उन्होंने जवाब दिया, ‘‘हां’’। उन्होंने कहा, ‘‘मैं याचिका स्थानांतरित करना चाहूंगा। अगर वे राजी हैं तो हम मिलकर यह कर सकते हैं।’’
मुफ्ती की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता नित्या रामकृष्णन ने कहा कि मामला उच्च न्यायालय के समक्ष ‘‘सुनवाई के लिए उपयुक्त’’ है। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे खुशी होगी कि अगर हम एक साथ उच्चतम न्यायालय का रुख करें।’’ मुफ्ती ने मार्च में दायर की याचिका में धन शोधन रोकथाम कानून की धारा 50 को अनुचित रूप से भेदभावपूर्ण, सुरक्षा उपायों से रहित होने और संविधान के अनुच्छेद 20(3) का उल्लंघन होने के कारण रद्द करने का अनुरोध किया था।
उन्होंने धन शोधन मामले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा उन्हें जारी सम्मन को भी चुनौती दी थी और मामले पर रोक लगाने का अनुरोध किया था जिसे अदालत ने पहले खारिज कर दिया था। मुफ्ती (61) को जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के बाद एक साल से अधिक समय तक हिरासत में रखा गया था और पिछले साल रिहा किया गया था। उन्हें राष्ट्रीय राजधानी में ईडी मुख्यालय में पेश होने का नोटिस भेजा गया था।

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