राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर विरोध कर रहे किसानों ने आखिरकार अपने सालभर से जारी आंदोलन को समाप्त करने का ऐलान कर दिया है। इसके साथ ही 14 महीनों से सीमाओं पर दते हुए किसान शाम से अपने घरों की तरफ जाना शुरू कर सकते हैं। दरअसल, केंद्र की मोदी सरकार की ओर से मिले नए प्रस्ताव पर किसान संगठनों में सहमति बन गई थी, लेकिन गुरुवार दोपहर को इस पर लंबी चर्चा के बाद फैसला हुआ।
किसानों की होगी घर वापसी
इसके साथ ही सिंघु बॉर्डर का दृश्य किसानों की घर वापसी का संकेत दे रहा है, सभी लोग रहने के लिए लगाए गए टेंट हटाने लगे हैं और लंगर आदि का सामान गाड़ियों में रखा जाने लगा है। जानकारी के मुताबिक किसान अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में अरदास करेंगे और अपने घरों को लौट जाएंगे। संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधि बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा, 15 जनवरी को एक समीक्षा बैठक होगी।
15 जनवरी को होगी समीक्षा बैठक
राजेवाल ने कहा कि 15 जनवरी को होने वाली समीक्षा बैठक में इस बात पर विचार किया जाएगा कि 14 महीने तक चले इस आंदोलन से हमने क्या पाया है और केंद्र सरकार ने कितनी मांगों को मान लिया है। उन्होंने साथ ही कहा कि 11 दिसंबर से किसान लौटना शुरू कर देंगे और 15 दिसंबर तक पंजाब में भी सभी मोर्चे खत्म हो जाएंगे। राजेवाल ने कहा कि मैं उन सभी लोगों को धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने हमारी इस लंबी लड़ाई में हमारा साथ दिया है।
बिजली संशोधन विधेयक को लेकर सरकार ने दया यह आश्वासन
केंद्र सरकार द्वारा कृषि आंदोलन के दौरान और पराली जलाने के लिए दर्ज सभी मामलों को वापस लेने के लिए सहमत होने के बाद किसानों के विरोध को वापस लेने पर सहमति बनी थी। विरोध कर रहे किसानों के अनुसार सरकार ने यह भी आश्वासन दिया है कि वह एसकेएम या संबंधित किसान संघों के साथ परामर्श के बाद ही बिजली संशोधन विधेयक पेश करेगी।
मृतक किसानों के परिजनों को मिलेगा मुआवजा
इसके अलावा, पंजाब की तर्ज पर हरियाणा और उत्तर प्रदेश की राज्य सरकारों ने भी मृतक किसानों के परिजनों को 5 लाख रुपये का मुआवजा और नौकरी देने पर सहमति जताई है। अंत में, केवल एसकेएम नेताओं को एमएसपी समिति में शामिल करने की मांग – राज्यों, केंद्र के अधिकारियों और कृषि विशेषज्ञों के अलावा – को भी पूरा किया गया है।
इससे पहले, किसान यह भी मांग कर रहे थे कि केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा, जिनके बेटे आशीष पर लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में आरोपी है उन्हें बर्खास्त किया जाए। हालांकि, केंद्र को भेजे गए अंतिम मांग प्रस्ताव को देखते हुए, एसकेएम के पांच सदस्यीय पैनल ने उस बिंदु को हटा दिया था।