केंद्र की मोदी सरकार में केंद्रीय गृहमंत्री और केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कहा कि राज्यों की सहकारी समितियों के कामकाज में दखल देने की केंद्र की कोई मंशा नहीं है लेकिन यह आपसी बातचीत एवं समन्वय के जरिये राज्यों के सहकारिता कानूनों में एकरूपता लाने की कोशिश करेगा।
सहकारी समितियों को मौजूदा दौर की चुनौतियों के हिसाब से बनाए जाने की जरूरत
शाह ने सहकारिता नीति पर दो-दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि सहकारी समितियों को मौजूदा दौर की चुनौतियों के हिसाब से बनाए जाने की जरूरत है और अगले आठ-नौ महीनों में सहकारिता नीति तैयार हो जाएगी। उन्होंने कहा कि सहकारिता क्षेत्र में कई तरह के सुधारों की जरूरत है, जिनके बारे में सहकारिता मंत्रालय के पोर्टल पर सुझाव भेजे जा सकते हैं। इस मौके पर सहकारिता राज्यमंत्री बी एल वर्मा, सचिव डी के सिंह, राष्ट्रीय सहकारी समिति विकास निगम (एनसीडीसी) के प्रबंध निदेशक संदीप कुमार नायक और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे।
इसलिए आयोजित किया गया राष्ट्रीय सम्मेलन
केंद्र सरकार ने पहले ही घोषणा कर चुकी है कि वह देश में सहकारिता आंदोलन को मजबूती देने के लिए एक नई सहकारिता नीति लेकर आएगी। यह राष्ट्रीय सम्मेलन इस प्रस्तावित नीति पर केंद्र एवं राज्यों की सरकारों के अलावा अन्य हितधारकों के साथ चर्चा के लिए ही आयोजित किया गया है। सम्मेलन में सहकारी समितियों के मौजूदा कानूनी ढांचे, नियामकीय नीतियों की पहचान, कामकाज में आने वाली बाधाओं, समितियों को सक्रिय आर्थिक इकाई बनाने और नई समितियों के प्रोत्साहन एवं निष्क्रिय हो चुकी समितियों में नई जान फूंकने से जुड़े मसलों पर चर्चा होगी।