सरकार ने गुरुवार को विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं को अफगानिस्तान की स्थिति की जानकारी दी । पिछले सप्ताह तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर कब्जा करने की पृष्ठभूमि में, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने राजनीतिक दलों के नेताओं को उस देश के ताजा हालात के बारे में जानकारी दी । सरकार ने बताया है कि वह अभी वेट एंड वॉच के मोड में है, लेकिन मुख्य फोकस लोगों को वहां से निकालने पर है ।
सूत्रों के अनुसार मीटिंग में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि अफगानिस्तान में हालात ठीक नहीं हैं, हम अपने लोगों को निकालने में जुटे हैं। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि दोहा में जो तालिबान ने वादे किए थे, वह उसपर खरा नहीं उतरा है। बैठक में हिस्सा लेने वाले कुछ लोगों के अनुसार, विदेश मंत्री ने कहा कि भारत, अफगानिस्तान से यथासंभव अधिक लोगों को बाहर निकालने का प्रयास कर रहा है । उन्होंने जोर दे कर कहा कि भारतीय कर्मियों को निकालना ‘सर्वोच्च प्राथमिकता’ है।’’
सरकार ने युद्ध प्रभावित अफगानिस्तान की स्थिति को ‘गंभीर’ बताया और कहा कि तालिबान ने दोहा समझौते में किये गए वादे को तोड़ा है। उल्लेखनीय है कि तालिबान नेताओं और अमेरिका के बीच फरवरी 2020 में हुए दोहा समझौते में धार्मिक स्वतंत्रता और लोकतंत्र को रेखांकित किया गया था । इसमें काबुल में एक ऐसी सरकार की बात कही गई थी जिसमें अफगानिस्तान के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व हो । संसदीय सौंध में आयोजित इस बैठक में जयशंकर के अलावा राज्यसभा के नेता और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल तथा संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी भी मौजूद थे ।
समझा जाता है कि अफगानिस्तान से लोगों को बाहर निकालने के अभियान के अलावा मंत्रियों, राजनीतिक दलों के नेताओं को युद्ध से प्रभावित इस देश की स्थिति बारे में सरकार के आकलन से भी अवगत कराया जाएगा । इस महत्वपूर्ण बैठक में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता शरद पवार, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, द्रमुक नेता टी आर बालू, पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा, अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल सहित कुछ अन्य नेता हिस्सा ले रहे हैं ।