दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को केंद्र सरकार को यह विचार करने का निर्देश दिया कि गूगल को उसकी वेब सेवा पर रक्षा प्रतिष्ठानों समेत भारत के नक्शे अपलोड किए जाने से रोका जाना चाहिए या नहीं। मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ ने वकील किसालय शुक्ला की याचिका का निपटारा करते हुए ये निर्देश दिए। याचिका में कहा गया था कि ‘गूगल अर्थ’ पर अपलोड की गईं और उपग्रह से ली गई तस्वीरों के जरिए उन रक्षा प्रतिष्ठानों तक पहुंच आसान हो गई है जो आमजन के लिए बंद हैं।
याचिका में कहा गया है कि देश को विस्तृत नक्शे मुहैया कराने का अधिकार केवल भारत सरकार के पास है। याचिका में सरकार को यह भी आदेश देने की अपील की गई है कि वह अपने नागरिकों को स्वदेशी नेविगेशन प्रणाली ‘नाविक’ उपलब्ध कराए ताकि लोगों को निजी संस्थाओं द्वारा मुहैया कराई जाने वाली इसी प्रकार की सेवाओं पर निर्भर नहीं रहना पड़े। पीठ ने केंद्र सरकार से कहा कि वह इस बात पर विचार करे कि ‘गूगल इंडिया’ को भारत के विस्तृत नक्शों को प्रकाशित करने से रोकना आवश्यक है या नहीं।
अदालत ने कहा कि सरकार आवश्यकता पड़ने पर ‘गूगल इंडिया’ को कानून के अनुसार आवश्यक निर्देश दे सकती है। वकील ने दावा किया कि गूगल पर नक्शे आम लोगों के लिए ही नहीं, बल्कि शत्रु देशों के लिए भी उपलब्ध हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने गूगल को अपनी ‘स्ट्रीट व्यू’ सेवा उपलब्ध करने की अनुमति नहीं दी थी। इसके बावजूद वह पाकिस्तान के साथ लगती नियंत्रण रेखा के पास के भारतीय शहरों एवं इलाकों के चित्र अपलोड कर रहा है। शुक्ला ने दावा किया कि 2008 मुंबई हमलों में शामिल एक आतंकवादी के अनुसार उन्होंने शहर संबंधी जानकारी लेने के लिए गूगल की तस्वीरों का इस्तेमाल किया था।