केंद्र सरकार (Central Government) ने बीते आठ वर्षों में मनरेगा योजना (MGNREGA) पर पांच लाख करोड़ रुपये खर्च किए हैं। इस खर्च का 20 फीसदी कोरोना महामारी (Corona Pandemic) के दौरान व्यय किया गया है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Union Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने तेलंगाना के कामारेड्डी जिले में गुरुवार को ये जानकारी दी।
वित्तमंत्री सीतारमण ने कहा कि बीते आठ वर्षों में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत राज्य को 20,000 करोड़ रुपये दिए गए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘बीते आठ वर्षों में तेलंगाना को मनरेगा के तहत 20,000 करोड़ रुपये दिए गए हैं। इसी अवधि में पूरे देश में पांच लाख करोड़ रुपये खर्च किए गए जिसमें से 20 फीसदी से अधिक 2020-21 के दौरान कोविड-19 के प्रकोप के वक्त खर्च किए गए।’’
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इसमें अहम मुद्दा यह है कि यदि पैसा ठीक से खर्च नहीं होने की शिकायतें आती हैं या ऑडिट रिपोर्ट में कोई टिप्पणी होती है तो तो सर्वे दल (किसी भी राज्य में) आएंगे। ऐसे आरोप लगाए गए थे कि सर्वे दलों को योजना को रोकने के लिए भेजा जा रहा है, इस पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि कोई विसंगतियां होने पर सर्वे दलों को उनमें सुधार करने के लिए भेजा जाएगा।
वित्त मंत्री ने कहा कि संप्रग सरकार के कार्यकाल में योजना में अनेक खामियां थीं जिन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने दूर किया और इसे अब प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के जरिए लागू किया जा रहा है। उन्होंने तेलंगाना सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि के चंद्रशेखर राव की सरकार राज्य विधानसभा को सूचित किए बगैर और बजट में उल्लेख किए बगैर ऋण ले रही है। सीतारमण ने कहा कि किसान आत्महत्या के मामले में राज्य चौथे पायदान पर है।