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केंद्र सरकार ने ऑक्सीजन कंसंट्रेटर पर 70 प्रतिशत तक का व्‍यापार लाभ तय किया

कोरोना काल की दूसरी लहर में ऑक्सीजन को लेकर सबसे ज्यादा मारामारी देखने को मिली। इस दौरान सबसे ज्यादा कालाबाजारी भी हुई।

कोरोना काल की दूसरी लहर में ऑक्सीजन को लेकर सबसे ज्यादा मारामारी देखने को मिली। इस दौरान सबसे ज्यादा कालाबाजारी भी हुई। अब सरकार ने ऑक्सीजन कंसंट्रेटर पर व्यापार मार्जिन को 70 प्रतिशत पर सीमित कर दिया है। सरकार को मिली जानकारी के अनुसार, अभी डिस्ट्रीव्यूटर को 198 प्रतिशत तक मार्जिन हासिल हो रहा है।
डीपीसीओ 2013 के पैरा 19 के तहत असाधारण शक्तियों को लागू करते हुए, व्यापक जनहित में, एनपीपीए ने ऑक्सीजन कॉन्संट्रेटर्स पर प्राइस टू डिस्ट्रीब्यूटर (पीटीडी) स्तर पर कैप ला दी है। इससे पहले, फरवरी 2019 में, एनपीपीए ने कैंसर रोधी दवाओं पर व्यापार मार्जिन सीमित कर दिया था।
अधिसूचित व्यापार मार्जिन के आधार पर एनपीपीए ने निर्माताओं / आयातकों को तीन दिनों के भीतर संशोधित एमआरपी की रिपोर्ट करने का निर्देश दिया है। एनपीपीए द्वारा एक सप्ताह के भीतर संशोधित एमआरपी को सार्वजनिक डोमेन में सूचित किया जाएगा।
प्रत्येक खुदरा विक्रेता, डीलर, अस्पताल और निर्माता द्वारा प्रस्तुत मूल्य सूची को इस तरह से पेश करेगा कि किसी भी व्यक्ति से परामर्श करने के इच्छुक व्यक्ति के लिए आसानी से ये पहुंच सके।
ट्रेड मार्जिन कैपिंग के बाद संशोधित एमआरपी का अनुपालन नहीं करने वाले निमार्ताओं / आयातकों को ड्रग्स (मूल्य नियंत्रण) आदेश, 2013 के प्रावधानों के तहत 15 प्रतिशत ब्याज और 100 प्रतिशत तक जुर्माना आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के साथ अधिक शुल्क जमा करने के लिए उत्तरदायी होगा।
राज्य औषधि नियंत्रक (एसडीसी) यह सुनिश्चित करने के लिए आदेश के अनुपालन की निगरानी करेंगे कि कालाबाजारी की घटनाओं को रोकने के लिए कोई भी निर्माता, वितरक, खुदरा विक्रेता तय एमआरपी से अधिक कीमत पर किसी भी उपभोक्ता को ऑक्सीजन कंसंट्रेटर नहीं बेच रहा है।
ये आदेश समीक्षा के अधीन 30 नवंबर, 2021 तक लागू रहेगा। देश में कोविड की दूसरी लहर के मामलों में तेजी के साथ ऑक्सीजन की मांग काफी बढ़ गई है। सरकार देश में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन और ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की आपूर्ति करने का प्रयास कर रही है।
ऑक्सीजन कंसंट्रेटर एक गैर-अनुसूचित दवा है और वर्तमान में केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के वॉलंट्री लाइसेंसिंग ढांचे के तहत है। इसकी कीमत की निगरानी डीपीसीओ 2013 के प्रावधानों के तहत की जा रही है ताकि कालाबाजारी रोका जा सके।

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