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केन्द्र सरकार ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने का किया विरोध, सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया हलफनामा

केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने का विरोध किया है। केंद्र ने शीर्ष अदालत को बताया कि समलैंगिक संबंध और विषमलैंगिक संबंध स्पष्ट रूप से अलग-अलग वर्ग हैं, जिन्हें समान नहीं माना जा सकता है। हाल के महीनों में चार समलैंगिक जोड़ों ने अदालत से समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की मांग की है, जिससे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के साथ कानूनी टकराव की स्थिति पैदा हो गई है। 

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामा

समलैंगिक विवाह को मान्यता देने वाली याचिकाओं के खिलाफ केंद्र ने उठाई

केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने हलफनामे में कहा, ''समान-लिंग वाले व्यक्तियों द्वारा भागीदारों के रूप में एक साथ रहना, जिसे अब डिक्रिमिनलाइज़ किया गया है, भारतीय परिवार इकाई के साथ तुलनीय नहीं है और वे स्पष्ट रूप से अलग-अलग वर्ग हैं जिन्हें समान रूप से नहीं माना जा सकता है।''

केंद्र ने याचिका का विरोध किया

केंद्र ने समलैंगिक विवाह को मान्यता का दिल्ली HC में किया विरोध, कहा- ये  हमारी संस्कृति के खिलाफ | Our values dont recognise same sex marriage  Centre in Delhi High court - Hindi Oneindia

हलफनामे में, केंद्र ने याचिका का विरोध किया है और कहा कि समलैंगिकों को कानूनी मान्यता देने वाली याचिकाओं को खारिज किया जाना चाहिए, क्योंकि इन याचिकाओं में कोई योग्यता नहीं है। सरकार ने LGBTQ विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग वाली याचिका के खिलाफ अपने रुख के रूप में कहा कि समान-लिंग संबंध और विषमलैंगिक संबंध स्पष्ट रूप से अलग-अलग वर्ग हैं, जिन्हें समान रूप से नहीं माना जा सकता है।