केंद्र सरकार ने राज्यसभा में कहा कि हाथ से मैला ढोने (मैनुअल स्कैवेंजिंग) के कारण किसी व्यक्ति की मृत्यु होने की कोई रिपोर्ट नहीं है लेकिन पिछले तीन साल के दौरान सीवर और सेप्टिक टैंकों की सफाई करते समय हुई दुर्घटनाओं के कारण 161 लोगों की मौत हो गई।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री वीरेंद्र कुमार ने राज्यसभा को पूरक सवालों के जवाब में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि प्राप्त रिपोर्टों के अनुसार, वर्तमान में कोई भी व्यक्ति हाथ से मैला ढोने का कार्य नहीं कर रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों की पहचान के लिए 2013 और 2018 में दो सर्वेक्षण कराए गए थे और 58,098 ऐसे लोगों की पहचान की गई थी।
उन्होंने कहा कि 1993 से लेकर 31 मार्च 2022 तक सेप्टिक टैंकों की सफाई के दौरान 791 लोगों की मौत हो गयी। उन्होंने बताया कि इस क्रम में संबंधित कानून के तहत 536 प्राथमिकी दर्ज की गयी और 703 पीड़ितों के आश्रितों को यथोचित मुआवजा दिया गया है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा 136 आश्रितों को आंशिक भुगतान किया गया है।
उन्होंने हाथ से मैला ढोने वाले लोगों के पुनर्वास के लिए सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों का जिक्र करते हुए कहा कि अब मशीनों से सफाई पर जोर दिया जा रहा है और इस संबंध में कर्मियों को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों को 15 लाख रुपये तक के ऋण और पांच लाख रुपये की सब्सिडी देने की भी व्यवस्था की गयी है।
सीवर सफाई कर्मचारियों के लिए वैकल्पिक रोजगार पर जोर
राज्यसभा में वरिष्ठ नेताओं ने बुधवार को सरकार से मैनुअल तरीके से सफाई (सीवर या सेप्टिक टैंक की सफाई) करने वालों को वैकल्पिक रोजगार मुहैया कराने की मांग करते हुए निजी ठेकेदारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की, जो उन्हें अवैध रूप से काम पर रखते हैं। शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठाते हुए समाजवादी पार्टी की सांसद जया बच्चन ने कहा कि हाल ही में मैनुअल तरीके से सफाई के दौरान तीन लोगों की मौत हो गई और उन्हें बचाने के लिए अंदर (सीवरेज) गए एक व्यक्ति की भी जान चली गई।
जया बच्चन ने कहा, “मैनुअल स्कैवेंजर्स रिहैबिलिटेशन एक्ट 2013, उन सभी प्रकार के रोजगार की अनुमति नहीं देता है जो मैन्युअल रूप से मानव मल को हटाने की प्रक्रिया को शामिल करते हैं। राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग के आंकड़ों के अनुसार, देश में हर दो दिनों में एक मैनुअल मैला ढोने वाले की मृत्यु हो जाती है। अब तक, पिछले दो वर्षों में 1,470 मैनुअल तरीके से सफाई करने वालों ने अपनी जान गंवाई है।”
उन्होंने कहा, यह उचित पुनर्वास की कमी के कारण हुआ है और वे बहुत ही अमानवीय स्थिति में कम वेतन के लिए हाथ से मैला ढोने के काम पर लौटने को मजबूर हैं। उन्होंने आगे कहा, “इसलिए, उनके लिए वैकल्पिक अवसर प्रदान करना आवश्यक है।” इस मुद्दे पर बोलते हुए द्रमुक विधायक टी. शिवा ने कहा कि 10 मार्च को मुंबई में सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान तीन सफाई कर्मचारियों की मौत हो गई थी।
उन्होंने यह भी कहा कि इसकी अनुमति नहीं देने वाला कानून होने के बावजूद निजी ठेकेदार उन्हें काम पर रखते हैं, इसलिए उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। शिवा ने यह भी कहा कि ये लोग बिना किसी सुरक्षा उपकरण के सीवर या सेप्टिक टैंक में जाते हैं और जहरीली गैस के कारण इनकी मौत हो जाती है। उन्होंने आगे कहा, “इन दुर्घटनाओं को रोकने में विफल रहने वाली कानून लागू करने वाली एजेंसी के खिलाफ भी कार्रवाई की जानी चाहिए।” सदन के अन्य सदस्यों ने भी इस मुद्दे पर जोर दिया।