केंद्र सरकार ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स बिल, 2021 को लोकसभा में पारित करवाने के लिए हर संभव प्रयासों में जुटी है। हालांकि पेगासस और अन्य कई मुद्दों को लेकर विपक्ष लगातार सदन में हंगामा कर रहा है। ऐसे में केंद्र को कुछ अधिनियमों और बिलों को पास करवाना काफी चुनौतीपूर्ण है।
सरकार विपक्षी दलों के लगातार हंगामे के बावजूद ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स बिल, 2021 को निचले सदन में पारित करवाने के प्रयास है। इस बिल के अलावा सिनेमैटोग्राफ अधिनियम 1952, सीमा शुल्क अधिनियम, 1962, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण अधिनियम 1994, व्यापार चिह्न् अधिनियम, 1999 और पौधों की किस्मों और किसानों के अधिकार संरक्षण अधिनियम, 2001 और कुछ अन्य अधिनियमों में और बिलों में संशोधन करने के प्रयास जारी है।
बिलों को पास करवाने के अलावा, गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय को सिफारिशों पर सरकार द्वारा की गई कार्रवाई पर गृह मामलों की स्थायी समिति की 228वीं रिपोर्ट में निहित सिफारिशो और टिप्पणियों के कार्यान्वयन की स्थिति के बारे में एक बयान देना है।
क्या है ट्रिब्यूनल रिफॉर्म बिल, 2021
ट्रिब्यूनल रिफार्म्स बिल 2021 इससे जुड़े अध्यादेश का प्रारूप है, जिसे सरकार ने पहले ही लागू किया था। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कानून का रूप देने के लिए संसद में पेश किया। इस अध्यादेश के जरिए 9 अधिनियमों के तहत अपीलीय अधिकारियों को भंग कर दिया गया और उनके कार्यों को उच्च न्यायालयों में स्थानांतरित कर दिया।
इस बिल में जो संशोधन का प्रावधान है, उसके तहत 9 अधिनियमों के तहत अपीलीय न्यायाधिकरणों को भंग कर दिया। इस बिल में ये प्रस्ताव रखा गया है कि ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा एक खोज-व चयन समिति द्वारा की गई सिफारिशों के आधार पर की जाएगी। समिति में भारत के मुख्य न्यायाधीश, केंद्रीय सरकारों द्वारा नामित सचिव, मंत्रालय के सचिव शामिल होंगे, जिसके तहत न्यायाधिकरण का गठन किया जाता है।