राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने अदाणी विवाद पर 15 सदस्यों के कार्य स्थगन नोटिस के निलंबन को खारिज करते हुए शुक्रवार को कहा कि उनके फैसले की लगातार अवहेलना की गई है। धनखड़ ने कहा, संसदीय लोकतंत्र नियमों के अधार पर चलता है। एक बार फैसला दिए जाने के बाद उस पर सवाल नहीं उठाया जा सकता, क्योंकि इसके लिए संहिताबद्ध नियम हैं।
गुरुवार को भी विपक्ष के विरोध के बीच दोनों सदनों की कार्यवाही धुल गई
उन्होंने कहा, मेरे फैसले की लगातार अवहेलना की गई है। राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने शुक्रवार को 14 अन्य सदस्यों के साथ बाजार मूल्य खोने वाली कंपनियों में एलआईसी, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और वित्तीय संस्थानों द्वारा निवेश के मुद्दे पर चर्चा के लिए नियम 267 के तहत कार्यस्थगन का नोटिस दिया।
अदाणी समूह के खिलाफ लगातार दूसरे दिन अमेरिका स्थित फर्म हिंडनबर्ग के आरोपों को लेकर दोनों सदनों की कार्यवाही बाधित होने की बढ़ती संभावना के बीच नोटिस दिया गया। इससे पहले दिन में, 16 विपक्षी दलों ने संसद में रणनीति बनाने के लिए संसद में खड़गे के कक्ष में एक बैठक में भाग लिया।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने प्रश्नकाल शुरू कराया
आपको बता दें, लोकसभा में शुक्रवार को कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों के सदस्यों ने अडाणी समूह से जुड़े मामले को लेकर नारेबाजी की जिस वजह से सदन की कार्यवाही आरंभ होने के कुछ मिनट बाद ही अपराह्न दो बजे तक स्थगित कर दी गई। विपक्षी सदस्य अडाणी समूह से जुड़े मामले में जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) गठित करने और इस मुद्दे पर संसद में चर्चा कराने की मांग कर रहे हैं।
सदन की कार्यवाही आरंभ होते ही विपक्षी सदस्य नारेबाजी करते हुए आसन के निकट पहुंच गए। हंगामे के बीच ही लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने प्रश्नकाल शुरू कराया। कुछ सदस्यों ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से जुड़े पूरक प्रश्न भी पूछे। नारेबाजी नहीं थमने पर बिरला ने हंगामा कर रहे सदस्यों से सदन की कार्यवाही चलने देने की अपील की।