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चांद के करीब है चंद्रयान-2, चंद्रमा की दूसरी कक्षा में सफलतापूर्वक किया प्रवेश

इसरो द्वारा दी गयी जानकारी में कहा गया है कि चंद्रयान के सभी उपकरण और प्रणाली सही ढँग से काम कर रहे हैं। कक्षा में अगला बदलाव 28 अगस्त की सुबह 5:30 बजे से 6:30 बजे के बीच किया जाएगा।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रमा की कक्षा में कल पहुँचे चंद्रयान-2 की कक्षा में बुधवार को सफलतापूर्वक बदलाव किया जिससे यह चंद्रमा के और करीब पहुँच गया है। चाँद पर भारत का दूसरा मिशन मंगलवार सुबह 9.02 बजे चंद्रमा की कक्षा में पहुँचा था। उसे 114 किलोमीटर गुणा 18,072 किलोमीटर वाली कक्षा में स्थापित किया गया था। 
इसरो ने बताया कि आज किए गए बदलाव के बाद अब चंद्रयान 118 किलोमीटर गुणा 4,412 किलोमीटर की कक्षा में चंद्रमा का चक्कर लगा रहा है। नयी कक्षा में स्थानांतरित करने के लिए चंद्रयान पर लगी प्रणोदन प्रणाली का इस्तेमाल किया गया। यह प्रक्रिया दोपहर बाद 12.50 बजे शुरू की गयी है और 20 मिनट 28 सेकेंड में लक्ष्य हासिल कर लिया गया। 
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इसरो द्वारा दी गयी जानकारी में कहा गया है कि चंद्रयान के सभी उपकरण और प्रणाली सही ढँग से काम कर रहे हैं। कक्षा में अगला बदलाव 28 अगस्त की सुबह 5.30 बजे से 6.30 बजे के बीच किया जाएगा। इसके बाद चंद्रमा पर उतरने से पहले 30 अगस्त और एक सितंबर को भी इसकी कक्षा में बदलाव किए जायेंगे। 
आखिरी बदलाव के बाद चंद्रयान 114 किलोमीटर गुणा 128 किलोमीटर की वक्र चंद्र कक्षा में पहुँच जाएगा। चंद्रयान का प्रक्षेपण 22 जुलाई को दोपहर बाद 2.43 बजे आँध, प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से किया गया था। पहले 22 दिन पृथ्वी की कक्षा में चक्कर लगाने के बाद 14 जुलाई को तड़के 2.21 बजे इसकी छह दिन की चंद्र यात्रा शुरू हुई थी और 20 अगस्त की सुबह 9.02 बजे यह चंद्रमा की कक्षा में पहुँचा। 

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चंद्रयान के तीन हिस्से हैं -ऑर्बिटर, विक्रम नाम का लैंडर और प्रज्ञान नाम का रोवर। विक्रम और उसके साथ जुड़े रोवर दो सितंबर को ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा और तीन सितंबर को इनकी गति कम की जाएगी। मिशन का सबसे महत्वपूर्ण दिन सात सितंबर को होगा, जब लैंडर चंद्रमा की कक्षा से उसकी सतह की ओर उतरना शुरू करेगा और अंतत: चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव के क्षेत्र में उतरेगा। 
इसरो ने सात सितंबर को तड़के 1.55 बजे लैंडर को चाँद की सतह पर उतारने का लक्ष्य तय किया है। चंद्रमा पर उतरने के बाद रोवर भी विक्रम से अलग हो जाएगा और 500 मीटर के दायरे में घूम कर तस्वीरें अन्य जानकारी एकत्र करेगा।

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