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MP में सियासी उठक-पटक के बीच चौहान बोले – बागी विधायक अगर CRPF की सुरक्षा चाहते हैं तो कमलनाथ सरकार को क्या तकलीफ है

मध्यप्रदेश में चल रही सियासी उठक-पटक के बीच भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को कहा कि जब बेंगलुरू में रह रहे कांग्रेस के बागी विधायक भोपाल आने के लिए केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की सुरक्षा की मांग कर रहे हैं, तो मध्यप्रदेश सरकार को इसे मुहैया कराने में क्या तकलीफ है।

मध्यप्रदेश में चल रही सियासी उठक-पटक के बीच भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को कहा कि जब बेंगलुरू में रह रहे कांग्रेस के बागी विधायक भोपाल आने के लिए केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की सुरक्षा की मांग कर रहे हैं, तो मध्यप्रदेश सरकार को इसे मुहैया कराने में क्या तकलीफ है। 
मध्यप्रदेश में चल रहे राजनीतिक संकट के मद्देनजर यहां ग्रेस रिसॉर्ट में ठहराये गये भाजपा विधायकों से मिलने पहुंचे चौहान ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘बेंगलुरू में रह रहे बागी विधायक अगर यहां आते, तो बागी विधायकों को जान का खतरा हो सकता था। सरकार चाह रही थी कि इन्हें रास्ते में रोक दिया जाये और ये विधानसभा में न पहुंचे। उनकी गाड़ियों को रोक कर पकड़ लिया जाये।’’ 
हाल ही में भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भोपाल में हुई घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा ‘‘जब सिंधिया पर हमला हो सकता है तो विधायकों को कैसे छोडते?’’ 
चौहान ने कहा, ‘‘जब सीआरपीएफ की सुरक्षा ये विधायक चाहते हैं तो आपको (कमलनाथ सरकार को) क्या तकलीफ है? मध्यप्रदेश सरकार केन्द्र सरकार से इनके लिए सीआरपीएफ की सुरक्षा क्यों नहीं मांग रही है।’’ 
उन्होंने कहा कि इन विधायकों को सीआरपीएफ सुरक्षा मुहैया कराई जानी चाहिए। 
मालूम हो कि कांग्रेस द्वारा उपेक्षा किये जाने से परेशान होकर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मंगलवार को कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था और बुधवार को भाजपा में शामिल हो गये। 
उनके साथ ही मध्यप्रदेश के 22 कांग्रेस विधायकों ने इस्तीफा दे दिया था, जिनमें से छह मंत्रियों को मंत्रिमंडल से हटाने के बाद उनके विधायक पद से इस्तीफा भी मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष ने स्वीकार कर लिये हैं। 
बाकी बचे हुए 16 विधायकों के अब तक इस्तीफे स्वीकार नहीं किये गये हैं। इससे प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार गिरने के कगार पर पहुंच गई है। 

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