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गलवान घाटी पर चीन की मांग को चिदंबरम ने बताया ‘असाधारण’, मोदी सरकार पर साधा निशाना

कांग्रेस नेता ने ट्वीट कर कहा कि “चीन के विदेश मंत्रालय और पीएलए ने एक बार फिर पूरी गलवान घाटी पर अपना दावा ठोक दिया है और मांग की है कि भारत घाटी को खाली कर दे। असाधारण मांग!”

चीन ने बुधवार को एक बार फिर उत्तरी लद्दाख क्षेत्र की गलवान घाटी पर अपनी संप्रभुता का दावा करते हुए कहा है कि वहां उसके सैनिक कई वर्षों से गश्त लगा रहे हैं। चीन के इस वक्तव्य को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने एक बार फिर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि गलवान घाटी पर चीन ने फिर से अपना दावा किया है तो क्या एनडीए सरकार फिर से मांग करेगी कि यथास्थिति बहाल होनी चाहिए। 

कांग्रेस नेता ने ट्वीट कर कहा कि “चीन के विदेश मंत्रालय और पीएलए ने एक बार फिर पूरी गलवान घाटी पर अपना दावा ठोक दिया है और मांग की है कि भारत घाटी को खाली कर दे। असाधारण मांग!” उन्होंने कहा कि क्या बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार एक बार फिर से भारत के दावे को दृढ़ता पूर्वक सामने रखेगी और मांग करेगी कि “यथास्थिति” बहाल होनी चाहिए?

चिदंबरम ने कहा कि “पीएम ने जो कहा उसके विपरीत, यह निर्विवाद है कि चीनी सैनिकों द्वारा अप्रैल-जून 2020 में यथास्थिति बदल दी गई। लोग देख रहे हैं कि क्या मोदी सरकार यथास्थिति बहाल करने में सफल होगी।” बता दें कि चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल वू कियान ने बुधवार को प्रेस ब्रीफिंग में कहा,“ गलवान घाटी पर चीनी संप्रभुता है और चीन के सैनिक वर्षों से इस क्षेत्र में नियमित गश्त लगा रहे हैं।”
उनका यह बयान ऐसे समय आया है जब एक दिन पहले ही भारत और चीन की फौजें हॉट स्प्रिंग और पांगोंग त्सो में पीछे हटने को राजी हो गई हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि इस वर्ष अप्रैल से भारतीय सैनिकों ने गलवान घाटी में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर एकतरफा निर्माण संबंधी गतिविधियां शुरू कर दी थी और चीन की तरफ से इस बारे में कई बार आपत्तियां दर्ज कराई गई थी।
भारत ने कई बार चीन के इस दावे को खारिज करते हुए कहा है कि गलवान घाटी पर उसका अधिकार ऐतिहासिक आधार पर भी स्पष्ट है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा,“ चीन की ओर से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के बारे में अब बढ़ा-चढ़ा कर जो अपुष्ट दावे किए जा रहे हैं, वे कतई स्वीकार्य नहीं हैं और यह चीन की पूर्व भूमिका के अनुरूप भी नहीं हैं।”

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