प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने शनिवार को अरुणाचल प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा के निकट अग्रिम इलाकों में स्थित विभिन्न वायुसेना अड्डों का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन के दरम्यान लगभग आठ महीने से जारी गतिरोध के बीच इस क्षेत्र में भारत की संपूर्ण सैन्य तैयारियों का विस्तृत जायजा लिया।
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि जनरल रावत ने अरुणाचल प्रदेश की दिबांग घाटी और लोहित सेक्टर समेत विभिन्न अड्डों पर तैनात सेना, आईटीबीपी और विशेष सीमांत बल (एसएफएफ) के सैनिकों से मुलाकात की और क्षेत्र में प्रभावी निगरानी बनाए रखने और अभियानगत तैयारियां बढ़ाने के वास्ते अभिनव कदम उठाने के लिये उनकी सराहना की।
सूत्रों के अनुसार, जनरल रावत ने कहा कि ऐसी ”चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों” में केवल भारतीय सैनिक ही सतर्क रह सकते हैं और सीमाओं की सुरक्षा के लिये हमेशा अपने कर्तव्यों से आगे बढ़कर काम करने के लिए तत्पर रहते हैं।
सूत्रों ने सीडीएस के हवाले से कहा, ”भारतीय सशस्त्र बलों को उनके कर्तव्यों को लेकर दृढ़ संकल्प रहने से कोई चीज नहीं रोक सकती। ” सूत्रों ने कहा कि जनरल रावत रविवार को भी अरुणाचल प्रदेश में अन्य प्रमुख अड्डों का दौरा करके सुरक्षा हालात का जायजा लेंगे।
वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से लगे अधिकतर अग्रिम स्थान जबरदस्त शीतलहर की चपेट में हैं और वहां तापमान शून्य से नीचे चला गया है। पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ चल रहे गतिरोध के चलते भारतीय सेना और वायुसेना ने अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम समेत एलएसी से लगे प्रमुख स्थानों पर तैनाती बढ़ा दी है।
इससे पहले नवंबर में सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने सेना की पूर्वी कमान के विभिन्न अड्डों का तीन दिवसीय दौरा किया था। कोलकाता में स्थित पूर्वी कमान के मुख्यालय पर अरुणाचल प्रदेश के साथ-साथ सिक्किम के सेक्टरों की सुरक्षा की भी जिम्मेदारी है।