सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग मंजूरी के लिए कांग्रेस के दो राज्यसभा सांसदों ने उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू के द्वारा महाभियोग प्रस्ताव को ठुकराने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। कांग्रेस के राज्य सभा सांसद प्रताप सिंह बाजवा और अमी याग्निक ने यह याचिका दाखिल की है। उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू की ओर से महाभियोग प्रस्ताव के नोटिस को खारिज कर दिया गया था। इसके बाद कांग्रेस ने कहा था कि वह इसे सदन में पेश किए जाने की मंजूरी मांगने के लिए शीर्ष अदालत में याचिका दाखिल करेगी।
कांग्रेस सांसदों ने अपनी याचिका में कहा है कि एक बार सांसदों की ओर से महाभियोग प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद उपराष्ट्रपति के पास अन्य कोई विकल्प नहीं रह जाता है। उन्हें इस नोटिस के आधार पर जांच आयोग गठित कर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ आरोपों की पूरी पड़ताल करानी चाहिए। इस मामले को कपिल सिब्बल समेत कई अन्य वकीलों ने जस्टिस चेलमेश्वर की कोर्ट में उठाया।
जस्टिस चेलमेश्वर ने इस मामले में कपिल सिब्बल और प्रशांत भूषण से कहा है कि अगर याचिका का नंबर नहीं आता है तो वह चीफ जस्टिस के पास जा सकते हैं। वकीलों का कहना है कि जब मामला चीफ जस्टिस से जुड़ा हो तो वह उनके पास मामला नहीं ले जा सकते हैं। जस्टिस चेलमेश्वर ने सभी से मंगलवार इस मामले को लाने को कहा है। ये याचिका अमि याज्ञनिक और प्रताप सिंह बाजवा की ओर से दायर की गई है।
आपको बता दें कि कांग्रेस समेत 7 राजनीतिक पार्टियां चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ राज्यसभा में महाभियोग का प्रस्ताव लेकर आई थीं। जिसे राज्यसभा के चेयरमैन वेंकैया नायडू ने खारिज कर दिया था। वेंकैया नायडू ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा था कि चीफ जस्टिस के खिलाफ लाया गया ये महाभियोग ना ही उचित है और ना ही अपेक्षित है। इस प्रकार का प्रस्ताव लाते हुए हर पहलू को ध्यान में रखना चाहिए। इस खत पर सभी कानूनी सलाह लेने के बाद ही मैं इस प्रस्ताव को खारिज करता हूं।
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