देश में कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन की दहशत के बीच बड़ी खबर आ रही है। बताया जा रहा है कि देश में 12 से 18 साल की उम्र के बच्चों के लिए कोरोना वैक्सीन को हरी झंडी दे दी गई है। भारत बायोटेक की कोवाक्सिन को ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने आपात इस्तेमाल के लिए मंजूरी दे दी है। इससे पहले जायडस कैडिला की कोरोना वैक्सीन को भी इस आयु-वर्ग के लिए मंजूरी मिली थी। इस वैक्सीन का इस्तेमाल 12 साल से ऊपर के लोगों के लिए किया जाना है। हालांकि, देश में अभी 18 या इससे ज्यादा उम्र के लोगों को ही कोरोना वैक्सीन लगाई जा रही है।
कोवैक्सिन अब भारत में बच्चों के लिए उपयोग के लिए स्वीकृत दूसरा टीका है। इसी साल अगस्त में जायडस कैडिला की तीन-खुराक डीएनए जैब को 12 साल से अधिक उम्र के वयस्कों और बच्चों पर इस्तेमाल करने की अनुमति दी गई थी। फिलहाल अभी देश में 18 साल से कम उम्र के लोग राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान का हिस्सा नहीं है।
कोरोनावायरस वैक्सीन लॉन्च करने की योजना बना रही है
इसी महीने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के CEO अदार पूनावाला ने कहा था कि पुणे स्थित वैक्सीन निर्माता कंपनी अगले छह महीनों में बच्चों के लिए कोरोनावायरस वैक्सीन लॉन्च करने की योजना बना रही है। पूनावाला ने रेखांकित किया कि जिस वैक्सीन को बच्चों के लिए तैयार किया जाएगा, वो अमेरिकी की बॉयोटेक्नोलॉजी कंपनी नोवावैक्स की कोविड-19 वैक्सीन है। उन्होंने कहा कि इसे उनकी कंपनी कोवोवैक्स के नाम से स्थानीय रूप से तैयार और उत्पादित करेगी।
सीरम इंस्टीट्यूट के CEO ने बच्चों को वैक्सीन लगाने की वकालत की
सीरम इंस्टीट्यूट के CEO ने भी बच्चों को वैक्सीन लगाने की वकालत की। उन्होंने कहा कि हां, मुझे लगता है कि आपको अपने बच्चों को वैक्सीन लगवानी चाहिए। इसमें कोई बुराई नहीं है, ये वैक्सीन सुरक्षित और प्रभावी साबित हुई हैं। बस सरकार के ऐलान का इंतजार करें और फिर आप इस दिशा में आगे बढ़ सकते हैं। राष्ट्रव्यापी वैक्सीनेशन कार्यक्रम के तहत अभी 18 साल से अधिक उम्र के योग्य लोगों को वैक्सीन लगाई जा रही है। भारत में वैक्सीनेशन की शुरुआत कई चरणों के तहत शुरू की गई थी। वैक्सीनेशन के पहले चरण की शुरुआत 16 जनवरी को हुई थी। इसके तहत स्वास्थ्यकर्मियों को वैक्सीन लगाई गई।