जगदलपुर: छत्तीसगढ़ के बस्तर के विभिन्न दूरस्थ क्षेत्रों में जहां आवागमन के साधन सीमित हैं और नक्सली हिंसा की दहशत है, ऐसे क्षेत्रों के बच्चे भी शिक्षा के प्रति जागरूक है और वे पढ़ना चाहते हैं, लेकिन उनके क्षेत्रों में स्कूलों के ना रहने से उन्हें मजबूरी में बिना पढ़े ही रहना पड़ रहा है। सूत्रों के अनुसार दूरस्थ हिंसाग्रस्त क्षेत्रों से इस संबंध में किए गए एक सर्वेक्षण में यह तथ्य प्रकाशित हुआ है कि बड़ी संख्या में इन क्षेत्रों के नौनिहाल अशिक्षित हैं।
उनमें पढ़ने की ललक है। लेकिन नक्सलियों द्वारा उनके क्षेत्रों के स्कूलों के तोड़फोड़ करने और इन क्षेत्रों में प्रशासनिक अमले के ना पहुंचने से उन्हें मजबूरी में बिना पढ़े ही अपनी जिंदगी बितानी पड़ रही है। इन बच्चों के सामने केवल एक ही विकल्प रहता है कि या तो वो मेहनत मजदूरी करे या नक्सलियों के संगठन में शामिल होकर कुछ भरण पोषण के लिए कमाई कर ले।
ऐसे बच्चों से जब यह पूछा गया कि क्या तुम लोगों में पढ़ाई के प्रति रूचि नहीं है तब इन बच्चों ने साफ-साफ कहा कि उनका परिवार निर्धन है और जो थोड़ी बहुत खेती तथा जंगलों से प्राप्त होने वाली सामग्रियों से उनका परिवार अपना भरण-पोषण करता है। वह सिलसिला भी नक्सलियों के आतंक से खत्म हो गया है और उन्हें मजबूरी में नक्सलियों के साथ रहकर उनका साथ देना पड़ता है। यदि पढ़ने के लिए वे आगे आते हैं तो नक्सली उन्हें अपनी हिंसा से प्रताड़ित करते हैं और उनका शोषण करते हैं। इस विचित्र विरोधाभासी स्थित में उन्हें रहना पड़ रहा है जबकि उन्हें अच्छी शिक्षा प्राप्त कर देश की सेवा करने की भावना है। इस परिस्थिति में शासन व प्रशासन भी उनकी कोई मदद नहीं कर पा रहा है।
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