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चीन ने डोकलाम पर फिर बदला रंग, शुरू किया सड़क निर्माण, बड़ी संख्या में की सैनिकों की तैनाती

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नई दिल्ली: डोकलाम को लेकर विवाद अभी थमा ही था कि चीन ने एक बार फिर सड़क निर्माण का कार्य शुरु कर दिया है। सूत्रों की मानें तो चीन ने बड़ी संख्या में सैनिक भी तैनात कर दिए हैं। माना जा रहा है कि सैनिकों की तैनाती और डोकलाम पठार में फिर से किए जा रहे सड़क निर्माण के कारण दोनों देशों के बीच एक बार फिर तनाव बढ़ सकता है। वहीं चीन ने भारत की यात्रा कर रहे अपने नागरिकों के लिए ट्रेवल एडवायजरी भी जारी की है। डोकलाम गतिरोध के बाद चीन ने पहली बार ऐसी चेतावनी जारी की है।

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन ने डोकलाम में उस जगह के पास अपने करीब 500 सैनिकों को तैनात कर रखा है जहां 73 दिन तक भारत और चीन की सेनाओं के बीच गतिरोध रहा था। इस इलाके से करीब 10 किलोमीटर दूर चीन ने एक बार फिर सड़क बनाने का काम शुरू कर दिया है। इस स्थिति से संकेत मिलता है कि दोनों देशों की सेनाओं के बीच सीमा पर तनाव अभी तक कम नहीं हुआ है। सूत्रों ने कहा कि डोकलाम में चीन अपने सैनिकों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ा रहा है जिससे स्थिति और बिगड़ सकती है. इस पर भारत का चिंतित होना लाजमी है।

एयर चीफ मार्शल ने कही ये बात

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डोकलाम पठार में चुंबी घाटी में चीनी बलों की मौजूदगी की वजह से तनाव पसरे होने का संकेत वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बी एस धनोआ ने भी बुधवार को दिया। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘दोनों पक्ष सीधे तौर पर आमने-सामने नहीं हैं। हालांकि चुंबी घाटी में अब भी उनके जवान तैनात हैं और मैं आशा करता हूं कि वे वापस चले जाएंगे क्योंकि इलाके में उनका अभ्यास पूरा हो गया है।’’ डोकलाम को लेकर चीन और भूटान के बीच क्षेत्रीय विवाद रहा है और भारत इस मुद्दे पर भूटान का समर्थन कर रहा है।

भारत और चीन की सेनाओं के बीच डोकलाम में 16 जून से 73 दिन तक गतिरोध की स्थिति बनी रही थी। इससे पहले भारत की सेना ने चीन की सेना द्वारा विवादित क्षेत्र में एक सड़क के निर्माण पर रोक लगा दी थी। गतिरोध के दौरान भूटान और भारत एक दूसरे से संपर्क में रहे जो गत 28 अगस्त को समाप्त हुआ। इस तरह की भी खबरें हैं कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने यातुंग में अग्रिम चौकी पर सैनिकों की संख्या और बढ़ा दी है। सूत्रों के मुताबिक डोकलाम पठार में चीन के सैनिकों को तैनात किया गया है लेकिन सर्दियों में वे इलाका छोड़कर चले जाते हैं।

चीन ने अपने नागरिकों को दी चेतावनी

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भारत में चीनी दूतावास ने वहां मौजूद अपने नागरिकों के लिए परामर्श जारी किया है. चेतावनी मंगलवार (3 अक्टूबर) को दूतावास की वेबसाइट पर पोस्ट की गई है। सरकारी ग्लोबल टाइम्स ने गुरुवार (5 अक्टूबर) को अपनी रिपोर्ट में बताया कि परामर्श में कहा गया, ‘‘कुछ चीनी नागरिक अंडमान निकोबार द्वीपसमूहों में गए, जो कि भारत से अनुमति के बिना विदेशियों के लिए प्रतिबंधित क्षेत्र हैं।यात्रियों को लौट जाने के लिए कहा गया. कुछ को गिरफ्तार तक किया गया अथवा उनसे पूछताछ की गई।’’

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इसमें कहा गया, ‘‘(आगंतुकों) को भारतीय सीमा और सैन्य ठिकानों तथा वाहनों की फोटो नहीं खींचनी चाहिए। भारत के पड़ोसी मुल्क नेपाल की यात्रा के वक्त सीमा पर स्थित बाजारों में जाने से बचें और गलती से भी अन्य देशों के क्षेत्र में नहीं घुसें।’’ चीन इससे पहले भी अपने नागरिकों के लिए तीन परामर्श जारी कर चुका है। ग्लोबल टाइम्स ने भारतीय मीडिया की खबरों का हवाला देते हुए कहा है कि प्रत्येक वर्ष भारत में जितने पर्यटक आते हैं उनमें से तीन प्रतिशत चीन से होते हैं।

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इससे पहले बीते 29 सितंबर को डोकलाम विवाद के बाद चीन के राजदूत लूओ झाओहुई ने भारत के साथ पुराने विवाद को भूलते हुए दोस्‍ती की तरफ कदम बढ़ाने की बात कही थी। पीपुल्‍स रिपब्लिक ऑफ चाइना की स्थापना की 68वीं वर्षगांठ पर बोलते चीनी राजदूत लूओ झाओहुई ने कहा था, ‘हमें पुराने विवादों को भूल कर नई दिशा की ओर कदम बढ़ाना चाहिए और जिससे दोनों देशों को फायदा होगा। चीन भारत का सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार है। हमने द्विपक्षीय स्तर पर बहुत प्रगति की है। साथ ही साथ अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मामलों में भी खासी प्रगति की है।

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उन्होंने कहा कि इस महीने की शुरुआत में श्यामेन में ब्रिक्स सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी और दोनों नेताओं ने ‘मिलाप’ और ‘सहयोग’ का साफ संदेश दिया था। उनकी यह टिप्पणी डोकलाम गतिरोध की पृष्ठभूमि में आई है। उन्‍होंने कहा कि चीन भारत का सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार है. शुरू से ही भारत और चीन के बीच क्षेत्रीय विवाद होता रहा है। जिसमें डोकलाम विवाद पर दोनों सेनाओं के बीच दो महीने से ज्यादा वक्त तक गतिरोध बना था। डोकलाम विवाद अभी तक का सबसे लंबा गतिरोध रहा। आपसी सहमति के बाद दोनों देशों के सैनिकों ने अपने-अपने कदम पीछे खींचे थे। डोकलाम विवाद के बाद चीन के राजदूत का यह बयान बहुत मायने रखता है।

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