भारत सरकार ने 4 फरवरी को संसद में बताया कि पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील पर चीनी पुल अवैध रूप से कब्जे वाले क्षेत्र में बनाया जा रहा है। सरकार ने कहा कि वह अन्य देशों से भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने की अपेक्षा रखता है। केंद्र सरकार की तरफ से यह बात विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने कही।
उन्होंने कहा, ‘सरकार ने चीन की ओर से पैंगोंग झील पर बनाए जा रहे एक पुल पर संज्ञान लिया है। इस पुल का निर्माण उन क्षेत्रों में किया जा रहा है जो 1962 से चीन के अवैध कब्जे में हैं। उन्होंने कहा कि भारत ने इस अवैध कब्जे को कभी स्वीकार नहीं किया है।
बजट सत्र के दौरान लोकसभा में मुरलीधरन ने कहा
उन्होंने कहा, “सरकार ने कई मौकों पर स्पष्ट किया है कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत का अभिन्न अंग है और हम उम्मीद करते हैं कि पड़ोसी देश भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करेंगे।’ सरकार ने संसद को बताया कि भारत और चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा के विवादित क्षेत्र के संबंध में राजनयिक और सैन्य दोनों चैनलों के माध्यम से बातचीत जारी रखी है। बजट सत्र के दौरान लोकसभा में मुरलीधरन ने कहा, ‘इन वार्ताओं में हमारा दृष्टिकोण तीन प्रमुख सिद्धांतों द्वारा निर्देशित रहा है और आगे भी रहेगा। सबसे पहले, दोनों पक्षों को एलएसी का सख्ती से सम्मान और पालन करना चाहिए। दूसरे, किसी भी पक्ष को यथास्थिति को एकतरफा रूप से बदलने का प्रयास नहीं करना चाहिए और तीसरा दोनों पक्षों के बीच के समझौतों का पूरी तरह से पालन करना चाहिए।
गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद पूर्वी लद्दाख सीमा पर बढ़ गया गतिरोध
दरअसल, 15 जून, 2020 को गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद पूर्वी लद्दाख सीमा पर गतिरोध बढ़ गया था। जून 2020 में गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़पों में 20 भारतीय सैनिकों के शहीद होने के बाद स्थिति और खराब हो गई। पिछले साल फरवरी में चीन ने आधिकारिक तौर पर स्वीकार किया था कि भारतीय सेना के साथ संघर्ष में पांच चीनी सैन्य अधिकारी और सैनिक मारे गए थे, हालांकि यह व्यापक रूप से माना जाता है कि मरने वालों की संख्या अधिक थी। पैंगोंग झील क्षेत्र में हिंसक झड़प के बाद 5 मई, 2020 को गतिरोध शुरू हो गया, जिसके बाद दोनों पक्षों ने धीरे-धीरे हजारों सैनिकों के साथ-साथ भारी हथियारों को लेकर अपनी तैनाती बढ़ा दी।
गतिरोध को दूर करने के लिए दोनों पक्षों के बीच हो चुकी कई दौर की वार्ता
12 जनवरी को दोनों देशों के बीच कोर कमांडर स्तर की 14वें दौर की वार्ता में कोई सफलता नहीं मिली थी। इस गतिरोध को दूर करने के लिए दोनों पक्षों के बीच सैन्य एवं राजनयिक स्तर पर कई दौर की वार्ता हो चुकी है। इस संवेदनशील सेक्टर में एलएसी पर दोनों देशों के वर्तमान में करीब 50,000 से 60,000 सैनिक तैनात हैं। भारत-चीन कोर कमांडर स्तर की 14वें दौर की बैठक चीन की ओर चुशुल-मोल्दो सीमा बैठक स्थल पर हुई थी। संयुक्त बयान में कहा गया था कि दोनों पक्षों के रक्षा और विदेश मामलों से संबंधित प्रतिष्ठानों के प्रतिनिधि बैठक में उपस्थित थे।