चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने कहा है कि चीन भारत की सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुका है और लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर भेजे गए हजारों सैनिकों और हथियारों की वापसी लंबे समय तक नहीं हो पाएगी। उन्होंने कहा कि बढ़ता संदेह और विश्वास की कमी परमाणु हथियार संपन्ने दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को सुलझाने में आड़े आ रही है।
दोनों देशों के बीच हो चुकी हैं 13 दौर की बातचीत
पिछले महीने भारत और चीन के बीच 13वें दौर की बातचीत बेनतीजा खत्म हुई थी। इसमें दोनों पक्षों के बीच यह सहमति नहीं बन पाई कि सीमा से सेना को कैसे पीछे हटाना है। गौरतलब है कि पिछले साल जून में LAC पर हुई हिंसक झड़प के बाद भारत सरकार ने पाकिस्ता न से रणनीतिक ध्यान हटाकर चीन पर केंद्रित कर दिया है। इस झड़प के बाद दोनों ही देश सीमा पर अपनी स्थिति मजबूत कर रहे हैं।
रावत बोले- भारत हर दुस्साहस का सामना करने को तैयार
जनरल रावत ने कहा कि भारत सीमा और समुद्र में किसी भी तरह के दुस्साहस के लिए तैयार है। उन्होंने आगे कहा कि दोनों देशों के बीच टकराव के बाद चीन LAC के पास संभवत: नागरिकों या सैनिकों को बसाने के लिए गांवों का निर्माण कर रहा है।उनकी यह टिप्पणी विदेश मंत्रालय के उस बयान से मेल खाती है, जिसमें भारत ने विवादित क्षेत्र में चीनी निर्माण पर प्रतिक्रिया दी गई थी।
भारत ने चीनी निर्माण को लेकर क्या प्रतिक्रिया दी?
एक अमेरिकी रिपोर्ट में कहा गया था कि चीन LAC के करीब बुनियादी सुविधाओं के विकास पर तेजी से काम कर रहा है। उसने कई इलाकों में रेलवे लाइन बिछा दी है जिस पर तेज गति से ट्रेन चल सकती हैं।इस पर गुरुवार को पहली आधिकारिक प्रतिक्रिया देते हुए भारत ने कहा कि उसने अपने क्षेत्र पर इस तरह के "अवैध कब्जे" को कभी स्वीकार नहीं किया है और वह संप्रभुता की रक्षा के लिए सभी कदम उठाएगा।
तालिबान के राज को लेकर भी चिंतित है भारत
CDS जनरल रावत ने अफगानिस्तान के घटनाक्रमों पर चिंता जताते हुए कहा कि तालिबान का राज भारत की सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है। इसके चलते जम्मूक-कश्मीटर में आतंकवादियों को अफगानिस्तान से गोला बारूद की मदद मिलने की संभावना बढ़ गई है।भारत का सुरक्षा तंत्र इस बात को लेकर चिंतित है कि सीमा सुरक्षा मजबूत किए जाने के बाद भी तालिबान का राज आने से क्षेत्र में सक्रिय आतंकवादी समूहों को समर्थन मिल सकता है।