लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

लोकसभा चुनाव पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

चीन प्राकृतिक कारणों का हवाला देकर भारत में तबाही की रच सकता है साजिश

भूस्खलन के चलते तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी का बहाव प्रभावित हुआ है, जिससे एक कृत्रिम झील बन गई है। इस झील में बढ़ रहे पानी से असम और अरुणाचल प्रदेश में…

भूस्खलन के चलते तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी का बहाव प्रभावित हुआ है, जिससे एक कृत्रिम झील बन गई है। इस झील में बढ़ रहे पानी से असम और अरुणाचल प्रदेश में अचानक बाढ़ आने की आशंका है। ऐसे में असम और अरुणाचल प्रदेश में नैशनल डिजास्टर रेस्पॉन्स फोर्स (एनडीआरएफ) की 32 टीमों को तैनात किया गया है।  असम के 10 गांव पानी में डूब गए हैं। सरकारी एजेंसियां हाई अलर्ट पर हैं। दरअसल, चीन प्रशासित तिब्बत में लैंडस्लाइड होने से एक नदी का रास्ता बंद हो गया है। इसके बाद यहां कृत्रिम झील बन गई है। पहाड़ से गिरे चट्टानों ने नदीं का रास्ता रोक दिया है। ये भूस्खलन 16 अक्टूबर को तिब्बत में यारलुंग सांग्पो नदी पर हुआ है। अब खतरा ये है कि अगर पानी के दबाव से ये अस्थाई बांध टूट गये तो निचले इलाकों में तेज रफ्तार से पानी आ सकता है। इस नदी के निचले इलाके में अरुणाचल प्रदेश और असम के भूभाग शामिल हैं। इस नदी को अरुणाचल प्रदेश में सियांग कहा जाता है जबकि असम में इसे ब्रह्मपुत्र कहते हैं।

अब धीरे-धीरे इस नदी पानी निचले इलाकों की ओर आ रहा है। चीन ने भारत को बताया है कि नदी से प्रति सेकेंड 18 हजार क्यूबिक मीटर पानी छोड़ा जा रहा है। ब्रह्मपुत्र से सटे इलाके डूब रहे हैं। असम के धेमाजी, डिब्रूगढ़, लखीमपुर, तिनसुकिया और जोरहाट जिलों में हाई अलर्ट घोषित है। अगर बाढ़ का पानी धीरे-धीरे निकल गया तब तो ठीक है, लेकिन वहां फ्लैश फ्लड की स्थिति बनी तो निचले इलाकों में स्थिति खराब हो सकती है।

‘प्राकृतिक कारण’ का सच

अरुणाचल प्रदेश में बाढ़ के हालात पर नजर रख रहे अधिकारियों का कहना है कि सियांग नदी में पानी खतरे के निशान से पार कर  गया है। चीन की ओर से बताया गया है कि भूस्खलन के पीछे ”प्राकृतिक कारण” हैं, पर भारत सरकार तकनीक की मदद से चीन सरकार के इस दावे की हकीकत का पता लगा रही है। भारतीय एजेंसियों का शक है कि प्राकृतिक कारण का हवाला देकर चीन भारतीय भूभाग में तबाही की साजिश रच सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इन इलाकों में लैंडस्लाइड की घटनाएं तो होती हैं, लेकिन सही समय पर इसकी सूचना देकर निचले इलाकों में नुकसान कम किया जा सकता है।

चीन इस सूचना को भारत के साथ साझा करने में देरी करता है, इसकी वजह से नुकसान होता है। सुरक्षा विशेषज्ञ चीन की इस साजिश को ‘वाटर बम’ रणनीति कहते हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि पिछले साल जब असम के काजीरंगा में बाढ़ आई थी तो भी चीन द्वारा अचानक भारतीय क्षेत्र में भारी मात्रा में पानी छोड़ा गया था। साल 2000 में भी ब्रह्मपुत्र नदी में चीन द्वारा बिना सूचना के पानी छोड़े जाने की वजह से अरुणाचल और पूर्वोत्तर राज्यों में काफी तबाही हुई थी।

बता दें कि हाल ही में भारत के जल संसाधन मंत्रालय और चीन के जल संसाधन मंत्रालय के बीच हुए समझौता हुआ था और यह तय हुआ था कि चीन हर साल बाढ़ के मौसम यानी 15 मई से 15 अक्तूबर के बीच ब्रह्मपुत्र नदी में जल-प्रवाह से जुड़ी सूचनाएं भारत के साझा करेगा। पिछले साल डोकलाम विवाद के बाद पैदा हुए तनाव की वजह से चीन ने भारत के साथ ब्रह्मपुत्र नदी में पानी छोड़े जाने से जुड़े आंकड़े साझा करने बंद कर दिए थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

nine + ten =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।