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डोकलाम गतिरोध के बाद चीन आया हरकत में , तिब्बत में जल्द ही इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रॉकेट लॉन्चर करेगा तैनात

भारत से सटे तिब्बत में अब तक के ज्यादातर परांपरागत हथियारों के मुकाबले चीन का अभूतपूर्व इलेक्ट्रोमैगनेटिक रॉकेट लॉन्चर ज्यादा ताकतवर

भारत से सटे तिब्बत में अब तक के ज्यादातर परांपरागत हथियारों के मुकाबले चीन का अभूतपूर्व इलेक्ट्रोमैगनेटिक रॉकेट लॉन्चर ज्यादा ताकतवर साबित होगा। यह कहना है चीनी एक्सपर्ट्स का। भारत की सीमा से सटे तिब्बत के हिस्से को लेकर दोनों देश काफी संवेदनशील रहे हैं। आपको बता दे कि चीन भारत से सटे तिब्बत में जल्द ही इलेक्ट्रोमैगनेटिक रॉकेट लॉन्चर तैनात करेगा।

चीन द्वारा विकसित की जा रही यह आर्टिलरी पहाड़ी इलाकों में कई किलोमीटर दूर से ही दुश्मन को निशाना बनाने में सक्षम है। बता दे कि बीते दिनों डोकलाम के मुद्दे पर भी दोनों देश एक-दूसरे के सामने आ चुके हैं। डोकलाम गतिरोध के बाद इसे तिब्बत में तैनात करने का फैसला लिया जा रहा है।

डोकलाम गतिरोध से भारत को सबक सीखना चाहिए : चीन

वही ,विशेषज्ञों के मुताबिक, तिब्बत जैसे पहाड़ी और दुर्गम इलाके के लिए यह आर्टिलरी चीन के पारंपरिक हथियारों के मुकाबले ज्यादा ताकतवर साबित होगी। चीन द्वारा कब्जा किए गए तिब्बत से भारत की लंबी सीमा लगी है। ऐसे में यह भारत के लिए चिंता की बात हो सकती है।

ग्लोबल टाइम्स ने चीन के जानकारों के हवाले से लिखा है कि किंघाई-तिब्बत इलाके में इलेक्ट्रो मैगनेटिक रॉकेट लॉन्चर से पहाड़ी इलाकों में चीन की मारक क्षमता में जबरदस्त बढ़ोतरी होगी। यह इलाका दुर्गम है।

एक सैन्य विशेषज्ञ के अनुसार, परंपरागत हथियारों में पाउडर का इस्तेमाल होता है, लेकिन पहाड़ी इलाकों में ऑक्सीजन की कमी से मारक क्षमता कम हो सकती है। वहीं, जबकि इलेक्ट्रॉ मैगनेटिक रॉकेट के साथ ऐसी दिक्कत नहीं होती है। अखबार के अनुसार, पेइचिंग स्थित एक रिसर्च सेंटर के फेलो हान जुनी इलेक्ट्रॉनिक रॉकेट लॉन्चर के विकास का नेतृत्व कर रहे हैं।

बताया जा रहा है कि जुनी मा वेमिंग नाम के एक चाइनीज अकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग के शिक्षाविद् से वे इसमें सहायता ले रहे हैं। गौरतलब है कि चीन द्वारा कब्जा किए गए तिब्बत से भारत की लंबी सीमा लगी हुई है। बीते दिनों डोकलाम के मुद्दे पर भी दोनों देश एक-दूसरे के सामने आ चुके हैं।

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