उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने रविवार को लोगों से अपने प्रतिनिधियों का चुनाव चार गुणों–कैरिक्टर (चरित्र), कैलिबर(योग्यता), कैपेसिटी (क्षमता) और कन्डक्ट (आचरण) के आधार पर करने का आह्वान किया। पटना विश्वविद्यालय पुस्तकालय के शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए नायडू ने कहा कि जिनके पास अन्य चार सी– कैश (नकदी), कम्यूनिटी (समुदाय), कास्ट (जाति) और क्रिमनैलिटी (आपराधिकता) हैं, उन्हें किनारे किया जाना चाहिए और जाति, धर्म और लिंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अगर लोग किसी को जिम्मेदारी वाला काम देना चाहते हैं… पंचायत में, एक विधायक के रूप में और एक सांसद के रूप में, उन्हें चार गुणों– चरित्र, योग्यता, क्षमता और आचरण वाले लोगों का चुनाव करना चाहिए। नायडू ने कहा कि लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राजनेताओं के एक समूह जिनके पास ये चार सी :कैरिक्टर, कैलिबर, कपैसिटी और कन्डक्ट नहीं हैं, वे कैश, कम्यूनिटी, कास्ट और क्रिमनैलिटी में रुचि रखते हैं। लोगों को उनसे बचना चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि हिंदू हो, मुस्लिम हो, ईसाई हो, सिख हो, हम सब भारतीय हैं और हम एक हैं। उन्होंने कहा कि देश को जितनी जल्दी इस तरह की चीजों से छुटकारा मिलेगा, यह देश और राज्य के विकास और विकास के लिए बेहतर होगा।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि लोगों को बोलने और पढ़ने से पहले सोचना चाहिए । यह सभी के लिए आवश्यक है और यह राजनेताओं पर भी लागू होता है।
नायडू ने छात्रों से कहा कि उन्हें पांच चीजों माता-पिता, जन्म स्थान, मातृभाषा, देश और राष्ट्रीय एकता को हमेशा याद रखना चाहिए ।
उन्होंने अंग्रेजी के बजाए अपनी मातृभाषा का उपयोग करने का सुझाव देते हुए कहा कि लोगों को अपनी मातृ भाषा को कभी नहीं भूलना चाहिए। हिंदी, भोजपुरी, मगही, मैथिली, तेलुगु, तमिल, मराठी आदि सुंदर भाषाएं हैं। नायडू ने कहा कि वे अंग्रेजी भाषा के खिलाफ नहीं हैं लेकिन लोगों को चाहिए कि पहले अपनी भाषा सीखें और फिर कोई अन्य भाषा।
इस अवसर पर राज्यपाल फागू चौहान, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा, पटना विश्वविद्यालय के कुलपति रास बिहारी सिंह, चीफ पोस्ट मास्टर जनरल एम ई हक और अन्य उपस्थित थे। इस मौके पर उपराष्ट्रपति ने पटना विश्वविद्यालय पुस्तकालय के शताब्दी समारोह को लेकर डाक विभाग द्वारा जारी विशेष कवर का लोकपर्ण किया ।