भारत में स्वच्छता के स्तर को बढ़ाने और देश को खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) बनाने के उद्देश्य से सरकार ने ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण योजनाओं को अपनाने का संकेत दिया है। कचरा प्रबंधन के साथ पीने के पानी के लिए बड़ी धनराशि आवंटित होने की भी उम्मीद है।
वित्त मंत्रालय ने स्वच्छ भारत मिशन के आवंटन में कमी की है क्योंकि यह मिशन दो अक्टूबर, 2018 तक अपने अधिकतर लक्ष्यों को पूरा करते हुए लगभग समाप्त हो चुका है। मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि यह मिशन, जिसने बॉलीवुड को स्वच्छता के विषय पर एक फिल्म बनाने के लिए प्रेरित किया, अब एक क्लस्टर सिस्टम के तहत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पर काम करेगा।
यह मिशन 2014 में शुरू किया गया था। भारत सरकार द्वारा चलाए जाने वाले इस अभियान का उद्देश्य देश को दो अक्टूबर, 2019 तक खुले में शौच मुक्त बनाना है। मिशन के तहत ग्रामीण भारत में 1.96 लाख करोड़ रुपये की लागत से कुल नौ करोड़ शौचालयों का निर्माण करना है।
व्यय सचिव गिरीश चंद्र मुर्मू ने एक साक्षात्कार में आईएएनएस को बताया, ‘स्वच्छ भारत मिशन अब लगभग समाप्त हो रहा है। यह अंतिम चरण में पहुंच गया है और केवल 10 प्रतिशत काम बाकी है। बैक-एंड काम किया जाना है। अब ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (क्लस्टर) पर काम किया जाएगा।’
2019-20 के लिए स्वच्छ भारत अभियान के आवंटन में 25 फीसदी की गिरावट आई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसके विस्तार के रूप में 100 फीसदी ठोस अपशिष्ट प्रबंधन प्राप्त करने के लिए मिशन के विस्तार के प्रस्ताव की घोषणा की थी।
चालू वर्ष में स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के लिए आवंटित 12,644 करोड़ रुपये का बजट 2018-19 के संशोधित अनुमान से लगभग 4,334 करोड़ रुपये कम है।
सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा था कि अब ‘स्वच्छ भारत’ का विस्तार किया जाएगा। उन्होंने कहा था, ‘मैंने अब स्वच्छ भारत मिशन का विस्तार करने का प्रस्ताव किया है ताकि हर गांव में स्थायी ठोस कचरा प्रबंधन किया जा सके।’
स्वच्छ भारत अभियान ने शानदार सफलता हासिल की है क्योंकि 2 अक्टूबर 2014 से 9.6 करोड़ शौचालयों का निर्माण किया जा चुका है। उन्होंने कहा, ‘5.6 लाख से अधिक गांव ओडीएफ हो गए हैं। हमें इस सफलता को आगे बढ़ाना होगा। हमें न केवल लोगों में देखे जाने वाले व्यवहार परिवर्तन को बनाए रखना चाहिए, बल्कि कचरे को ऊर्जा में बदलने के लिए उपलब्ध नवीनतम तकनीकों का भी उपयोग करना चाहिए।’
उन्होंने कहा, ‘मैं हर गांव में सतत ठोस कचरा प्रबंधन के लिए स्वच्छ भारत मिशन का विस्तार करने का प्रस्ताव करती हूं।’
आलोचकों और विशेषज्ञों ने बार-बार ध्यान दिलाया है कि स्वच्छ भारत मिशन को ध्यान में रखते हुए एक महत्वपूर्ण लक्ष्य रखा गया है। लेकिन सवाल यह है कि कचरे के साथ क्या करना है? इसका पर्याप्त उत्तर कभी नहीं दिया गया। अब तक, भारत काफी हद तक अपशिष्ट प्रबंधन के लिए अनौपचारिक क्षेत्र पर निर्भर रहा है। इस तरह से अपशिष्ट प्रबंधन की योजना सिरे चढ़ती है तो इस दिशा में बड़ी व दूरगामी सफलता पाई जा सकती है।