नई दिल्ली, 13 दिसंबर, 2018: यदि आपकी सांस में बदबू आती है, मसूढ़ों से खून आता है, ठंडे-गर्म का अहसास होता है, मुंह में छाले बने रहते हैं, गाल या जीभ बार-बार कट जाती है, मुंह पूरा नहीं खुल पाता या फिर निगलने में तकलीफ होती है, तो आपको फौरन ओरल स्क्रीनिंग करा लेनी चाहिए। इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के अध्ययन में चैंकानेवाली बातें सामने आई हैं कि 2012 से 2018 के बीच ओरल कैंसर के मामलों में काफी वृद्धि हुई है। इस बात के मद्देनजर देश की अग्रणी डेंटल चेन, क्लोव डेंटल देशभर में ओरल हेल्थकेयर स्क्रीनिंग अभियान आयोजित कर रही है, ताकि अच्छी ओरल हाईज़ीन के बारे में जागरुकता बढ़ाकर लोगों को इसके लिए प्रेरित किया जा सके। यह अभियान दिसंबर के अंत तक चलेगा। इस दौरान लोग मुफ्त स्क्रीनिंग के लिए क्लोव डेंटल क्लिनिक में आ सकते हैं।
क्लोव डेंटल ने बताया कि जिन लोगों को उपरोक्त में से कोई भी लक्षण महसूस होता है, उनकी मैक्रोस्कोपिक ओरल स्क्रीनिंग एवं टोल्युईडीन रिंस टेस्ट करके सुनिश्चित किया जाएगा, कि उन्हें मुंह की कोई समस्या तो नहीं।
आईसीएमआर के नेशनल इंस्टीट्यूट आफ कैंसर प्रिवेंशन एण्ड रिसर्च (एनआईसीपीआर) द्वारा दिए गए आंकड़े प्रदर्शित करते हैं कि देश में सन, 2018 में कैंसर के लगभग 11.5 लाख मामले दर्ज किए गए, जबकि सन, 2012 में ये मामले 10 लाख थे। ग्लोबोकैन 2018 की इंडिया फैक्ट शीट के अनुसार होंठ एवं ओरल कैविटी के कैंसर से पीड़ित लोगों की संख्या सन, 2012 में 56,000 से बढ़कर सन, 2018 में 119,992 हो गई, यानि केवल छः सालों में 114 प्रतिशत की जबरदस्त वृद्धि हुई।
हार्वर्ड बिज़नेस स्कूल में पढ़े एवं क्लोव डेंटल के सीईओ, अमरिंदर सिंह ने कहा, ‘‘देश में क्लोव डेंटल के 287 क्लिनिकों में भारत का सबसे बड़ा मैक्रोस्कोपिक ओरल स्क्रीनिंग अभियान चलाया जा रहा है। इस स्क्रीनिंग में 5 से 7 मिनट लगते हैं और यह लोगों को विभिन्न जानलेवा बीमारियों से बचाने के लिए डिज़ाईन किया गया है, जिन्हें केवल डेंटिस्ट पहचान सकता है। स्क्रीनिंग को ल्यूकोप्लेकिया, ओरल लाईकेन प्लेनस, सबम्यूकस फाईब्रोसिस एवं ओरल कैंसर सहित अन्य जानलेवा बीमारियों की पहचान करने के लिए डिज़ाईन किया गया है। इस अभियान का इससे बेहतर समय और कोई नहीं हो सकता था।’’
विशेशज्ञों के अनुसार ओरल कैंसर के मामलों में हुई तीव्र वृद्धि अल्कोहल और तम्बाकू उत्पादों के बढ़ते उपयोग का परिणाम है। भारतीय उपमहाद्वीप में लिप और ओरल कैविटी के कैंसर के मामले विश्व के एक तिहाई हैं। मुंह और जीभ का कैंसर मिलकर फेफड़ों के कैंसर से भी आगे निकल जाता है।
भारत के अग्रणी डेंटल केयर एक्सपर्ट एवं क्लोव डेंटल में चीफ क्लिनिकल आॅफिसर, डाॅ. विमल अरोड़ा ने कहा, ‘‘बहुत कम लोगों को मालूम होता है कि मुंह की काफी छोटी समस्याएं, जैसे बार बार जीभ या गाल का कट जाना या फिर मुंह के छालों के ठीक न होने से मुंह की गंभीर बीमारी पैदा हो सकती है। इसके अलावा सेंसिटिविटी, जलन, मसूढ़ों से खून आना या मुंह से बदबू आना किसी बढ़ती हुई समस्या की ओर संकेत करते हैं। भारत में खाने-पीने के सामान में मिर्च अभिन्न हिस्सा होती है और इसके साथ अल्कोहल लेने, धूम्रपान करने तथा खैनी या तम्बाकू चबाने से मुंह में ऐसा वातावरण पैदा होता है, जिसमें पूर्व-संक्रामक चोट या ओरल कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों हो सकती हैं।’’
डाॅ. अरोड़ा ने कहा, ‘‘हम ओरल हेल्थकेयर तथा बीमारी की रोकथाम के बारे में लोगों की जागरुकता बढ़ाने के लिए समर्पित हैं; इसलिए हमने अपने खुद के संसाधनों के साथ देशभर में यह विस्तृत स्क्रीनिंग अभियान प्रारंभ किया। ओरल हेल्थ के बारे में जागरुकता बहुत कम है और हमने देश में अपने 700 से अधिक डेंटिस्टों के माध्यम से लोगों को अपनी ओरल हाईज़ीन की जाँच कराने के लिए प्रेरित करने का काम हाथ में लिया।’’
क्लोव डेंटल ने लोगों को स्क्रीनिंग के महत्व पर शिक्षित करने के लिए बहु-आयामी जागरुकता अभियान प्रारंभ किया है।
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