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असम पुलिस के पत्र से CM सरमा ने बनाई दूरी, कहा- मैं नहीं चाहता चर्च का हो सर्वे

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने एक विवादास्पद पत्र से “पूरी तरह से अलग” दूरी बना ली है, जिसे कथित रूप से असम पुलिस की स्पेशल ब्रांच की ओर से धर्म परिवर्तन के पैटर्न और राज्य में चर्चों की संख्या के बारे में जानकारी मांगने के लिए जारी किया गया था

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने एक विवादास्पद पत्र से “पूरी तरह से अलग” दूरी बना ली है, जिसे कथित रूप से असम पुलिस की स्पेशल ब्रांच की ओर से धर्म परिवर्तन के पैटर्न और राज्य में चर्चों की संख्या के बारे में जानकारी मांगने के लिए जारी किया गया था। इसको लेकर डीजीपी को डीजीपी को तत्काल सुधारात्मक उपाय करने को कहा गया। विशेष शाखा के एसपी रैंक के अधिकारी की ओर से 16 दिसंबर को जारी कथित पत्र में इस साल 2 नवंबर को स्टाफ कॉलेज में एसपी के सम्मेलन के दौरान हुई चर्चाओं का जिक्र है। 
नए चर्चों की जानकारी
कथित पत्र में सभी जिला पुलिस अधीक्षकों सहित राज्य पुलिस के शीर्ष अधिकारियों से पिछले एक साल में स्थापित नए चर्चों की जानकारी और अन्य डेटा जैसे कि आवंटित भूमि का विवरण देने के लिए कहा गया। साथ ही साथ पिछले छह वर्षों में धर्मांतरण के मामले, अन्य संबंधित पैटर्न देने की मांग की गई है। धर्मांतरण के साथ धर्मांतरण गतिविधियों में “महत्वपूर्ण भूमिका” निभाने वाले लोगों की पहचान और ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ दर्ज पुलिस मामलों की स्थिति, धर्म परिवर्तन के लिए जिम्मेदार प्रमुख कारक, अन्य मुद्दों की जानकारी मांगी गई।
इस तरह की जानकारी नहीं मांगनी चाहिए
पत्र से खुद को दूर करते हुए सरमा ने कहा, मुझे लगता है कि हमें इस तरह की जानकारी नहीं मांगनी चाहिए, जैसे कि असम में कितने चर्च हैं। इससे किसी खास धार्मिक समुदाय की भावनाएं आहत हो सकती हैं… मैं असम सरकार की स्थिति स्पष्ट करना चाहूंगा। हम किसी भी चर्च पर या किसी अन्य धार्मिक संस्थान पर कोई सर्वेक्षण नहीं चाहते हैं। संक्षेप में, मैं खुद को पत्र से पूरी तरह से अलग रखता हूं। कभी किसी सरकारी मंच पर इस पर चर्चा नहीं हुई। एक असमिया के रूप में हम सभी समुदायों के साथ सद्भाव से रहना चाहते हैं। मुझे लगता है कि डीजीपी सुधारात्मक उपाय करेंगे। 
असम क्रिश्चियन फोरम ने कहा, वह उस ‘सर्कुलर’ से दुखी
धर्मांतरण के मुद्दे पर मुख्यमंत्री ने कहा कि जबरन धर्मांतरण और दूसरे तरह के मामलों के बीच अंतर होता है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि असम में धर्म परिवर्तन को रेगुलेट करने के लिए अभी तक कोई कानून नहीं है। असम क्रिश्चियन फोरम ने कहा कि वह उस ‘सर्कुलर’ से दुखी हैं जिसने समाज को गलत संदेश भेजा। फोरम के प्रवक्ता एलन ब्रूक ने कहा, ईसाई समुदाय ने असमिया समाज में बहुत योगदान दिया है। हमारे पास असम और पूर्वोत्तर में अन्य जगहों पर हजारों स्कूल हैं। हम राष्ट्र निर्माण में सबसे आगे हैं।”

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