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विकास दुबे एनकाउंटर मामले की जांच के लिए गठित आयोग नहीं होगा भंग, SC से याचिका खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि कुख्यात अपराधी विकास दुबे की मुठभेड़ की जांच सार्वजनिक अधिकार क्षेत्र (पब्लिक डोमेन) में होगी और इसके परिणामस्वरूप, जांच के आयोजन के तरीके की पर्याप्त सुरक्षा होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि कुख्यात अपराधी विकास दुबे की मुठभेड़ की जांच सार्वजनिक अधिकार क्षेत्र (पब्लिक डोमेन) में होगी और इसके परिणामस्वरूप, जांच के आयोजन के तरीके की पर्याप्त सुरक्षा होगी।
न्यायाधीश ए. एस. बोपन्ना और वी. रामसुब्रमण्यम के साथ प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने अधिवक्ता घनश्याम उपाध्याय द्वारा दायर एक याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें न्यायिक समिति पर सवाल उठाया गया था। दरअसल सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश बी. एस. चौहान की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय आयोग कानपुर विकास दुबे मुठभेड़ कांड की जांच कर रहा है।
याचिकाकर्ता ने जांच आयोग के अध्यक्ष न्यायाधीश चौहान को लेकर सवाल खड़े किए थे। कहा गया था कि न्यायाधीश चौहान के कई रिश्तेदार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में हैं और उत्तर प्रदेश में भी भाजपा की सरकार है, ऐसे में जांच निष्पक्ष तरीके से नहीं हो सकती है।
इस मामले पर सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा, जांच सार्वजनिक क्षेत्र में होगी और याचिकाकर्ता को पहले से ही इसमें भाग लेने की स्वतंत्रता दी गई है। जांच की रिपोर्ट को उन याचिकाओं में दायर करने का आदेश दिया जाता है, जो इस अदालत के समक्ष दायर की गई थीं। जांच में पर्याप्त सुरक्षा होगी।
पीठ ने सुनवाई के दौरान उपाध्याय की खिंचाई भी की। पीठ ने कहा, हमने देखा है कि याचिकाकर्ता अनावश्यक आशंका जता रहे हैं और बार-बार आवेदन दायर किए जा रहे हैं, जो वास्तव में जांच की प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं। 
याचिकाकर्ता द्वारा लगाए गए आरोपों को खारिज करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा, आयोग के सदस्यों के खिलाफ उनके द्वारा लगाए गए पूर्वाग्रह के आरोप महज अखबारों की रिपोर्टों के आधार पर हैं और इससे अधिक कुछ नहीं हैं।

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