छत्तीसगढ़ HC के आदेश को खारिज करते हुए SC ने कहा- मकसद का पूर्ण अभाव होना आरोपी के पक्ष में जाता है - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

छत्तीसगढ़ HC के आदेश को खारिज करते हुए SC ने कहा- मकसद का पूर्ण अभाव होना आरोपी के पक्ष में जाता है

देश की सर्वोच्च अदालत, उच्चतम न्यायालय ने वर्ष 1997 के एक हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा पाने वाले एक व्यक्ति को बरी करते हुए कहा है कि मकसद का ‘‘पूर्ण अभाव’’ होना निश्चित रूप से आरोपी के पक्ष में जाता है।

देश की सर्वोच्च अदालत, उच्चतम न्यायालय ने वर्ष 1997 के एक हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा पाने वाले एक व्यक्ति को बरी करते हुए कहा है कि मकसद का ‘‘पूर्ण अभाव’’ होना निश्चित रूप से आरोपी के पक्ष में जाता है। न्यायमूर्ति यू यू ललित, न्यायमूर्ति एस आर भट और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ ने साथ ही यह टिप्पणी भी की कि इसका अर्थ यह नहीं है कि मकसद के अभाव में अभियोजन के मामले को खारिज कर दिया जाना चाहिए। 
पीठ ने 2014 में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय द्वारा सुनाए गए आदेश को खारिज कर दिया। मामले में दोषी ठहराने और उम्रकैद की सजा सुनाने के निचली अदालत के आदेश को आरोपी ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी, लेकिन उसकी याचिका को खारिज कर दिया गया था। उच्च न्यायालय के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई थी। 
पीठ ने 25 फरवरी के अपने आदेश में कहा, ‘‘ऐसा नहीं है कि केवल (आरोपी का) मकसद एक अहम कड़ी होता है, जिसे अभियोजन को साबित करना होता है। उसके अभाव में अभियोजन का मामला खारिज नहीं किया जा सकता है, लेकिन इसके साथ ही मकसद का पूर्ण अभाव मामले को नया रूप देता है और इसकी अनुपस्थिति निश्चित ही आरोपी के पक्ष में जाती है।’’ 

उत्तर प्रदेश: CM योगी बोले- भाजपा सरकार में पूर्वांचल का गौरव ‘गोरखपुर’ बन रहा है देश का गौरव

अभियोजन के अनुसार, एक व्यक्ति ने शिकायत दर्ज कराई थी कि उसका बेटा 13 जनवरी, 1997 के बाद से लापता है, जिसके आधार पर मामला दर्ज किया गया था। इसके बाद, 17 जनवरी, 1997 को एक तालाब से व्यक्ति के बेटे का शव मिला था और मामले को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302(हत्या) के रूप में बदल दिया गया था। 
शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा कि याचिकाकर्ता नंदू सिंह को मामले में गिरफ्तार किया गया था और ऐसा बताया गया है कि उसके बयान के आधार पर कई साक्ष्य सामने आए। याचिकाकर्ता के वकील ने शीर्ष अदालत से कहा था कि यह मामला परिस्थितिजन्य सबूतों पर आधारित है, और अभियोजन ने हत्या के पीछे नंदू सिंह का कोई मकसद नहीं बताया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

5 × 2 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।