कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने बृहस्पतिवार को सरकार पर आरोप लगाया कि आम बजट में रेलवे में सार्वजनिक निजी साझेदारी, निगमीकरण और विनिवेश पर जोर दिया गया है जो निजीकरण पर ले जाने का रास्ता है।
विपक्ष ने सरकार को घेरने का प्रयास करते हुए कहा कि सरकार को बड़े वादे करने की बजाए रेलवे की वित्तीय स्थिति सुधारने तथा सुविधा, सुरक्षा एवं सामाजिक जवाबदेही का निर्वहन सुनिश्चित करना चाहिए।
वहीं, सत्तारूढ़ भाजपा ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि रेलवे रोजाना नये प्रतिमान और कीर्तिमान गढ़ रहा है और पिछले पांच वर्षो में साफ-सफाई, सुगमता, सुविधाएं, समय की बचत और सुरक्षा आदि हर क्षेत्र में सुधार हुआ है और अब सरकार का जोर रेलवे में वित्तीय अनुशासन लाने पर है।
लोकसभा में वर्ष 2019..20 के लिये रेल मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदानों की मांगों पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने आरोप लगाया कि आम बजट में रेलवे में सार्वजनिक निजी साझेदारी (पीपीपी), निगमीकरण और विनिवेश पर जोर दिया गया है जो भारतीय रेल का निजीकरण नहीं करने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के वाराणसी में किये वादे के खिलाफ है ।
चौधरी ने आरोप लगाया कि रायबरेली कोच फैक्टरी सहित सात रेल उत्पादन इकाइयों का निगमीकरण करने की पहल की जा रही है। यह निजीकरण की ओर बढ़ने का रास्ता है ।
उन्होंने कहा कि सरकार की इस पहल के कारण आम लोगों और श्रमिकों में खलबली मच गई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वाराणसी में कहा था कि रेलवे का निजीकरण नहीं किया जायेगा, लेकिन आम बजट में रेलवे में पीपीपी, निगमीकरण और विनिवेश पर जोर दिया गया है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस नीत संप्रग सरकार का रेलवे के संदर्भ में रणनीतिक दृष्टिकोण था लेकिन वर्तमान सरकार निगमीकरण और बेचने के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने में लगी हुई है ।
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘ आप सिर्फ सपने दिखाते हैं । आप कहते कुछ हैं और करते कुछ हैं… ऐसे में कौन भरोसा करेगा।’’
चर्चा में हिस्सा लेते हुए भाजपा के सुनील कुमार सिंह ने कहा कि रेलवे पहले से कहीं अधिक सुव्यवस्थित है और इसमें साफ-सफाई, सुगमता, सुविधाएं, समय की बचत और सुरक्षा आदि हर क्षेत्र में सुधार हो रहा है। अब सरकार का उद्देश्य रेलवे में वित्तीय अनुशासन लाना है।
उन्होंने कहा कि भारतीय रेलवे नित प्रतिदिन नये प्रतिमान, कीर्तिमान गढ़ रहा है। सरकार ने लगातार रेलवे के विस्तार के लिए काम किया है और जो लक्ष्य निर्धारित किये हैं उन्हें पूरा भी किया जाएगा।
सिंह ने पूर्ववर्ती संप्रग सरकार पर रेल बजटों में तमाम घोषणाएं और नयी रेल लाइनों के शुरू करने का ऐलान करने लेकिन उन्हें पूरा नहीं करने का आरोप लगाया।
उन्होंने आरोप लगाया कि संप्रग के समय किये गये वादों का 10 प्रतिशत भी काम नहीं किया गया। सिंह ने कहा कि कांग्रेस नीत सरकार के समय रेल बजट दबाव समूहों के प्रभाव में पेश किये जाते थे लेकिन मोदी सरकार ने रेलवे को मुख्यधारा में शामिल करने के लिए इसे आम बजट में शामिल किया और सरकार देश के लिए बजट पेश करती है।
भाजपा सांसद ने कहा कि 2009-14 में जहां रेलवे का पूंजी परिव्यय 2.3 लाख करोड़ था, वह 2014-19 में 4.97 लाख करोड़ रुपये हो गया।
उन्होंने कहा कि इस साल के बजट में पूंजी व्यय 1.6 लाख करोड़ रुपये प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया है जो संप्रग सरकार के पहले पांच साल (2004-09) के कार्यकाल में रहे 1.25 लाख करोड़ रुपये के पूंजी व्यय से भी ज्यादा है।
चर्चा के दौरान द्रमुक की कनिमोझी ने कहा कि इस सरकार को हर समस्या का समाधान निजीकरण में दिखता है और वह भारतीय रेल में यही करने जा रही है।
उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी भारतीय रेल और दूसरे सार्वजनिक उपक्रमों में विनिवेश या निजीकरण का पुरजोर विरोध करती है।
कांग्रेस के चौधरी ने कहा कि मोदी सरकार के दौरान पिछले वर्षो में ट्रेनों की समय की पाबंदी की स्थिति खराब हुई है, काफी संख्या में ट्रेनें रद्द करने की घटनाएं सामने आई हैं, ट्रेनों की रफ्तार घटी है और सरकार कह रही है कि ‘‘ये बेच दो, वो बेच दो।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ यह सरकार बुलेट ट्रेन की बात करती है लेकिन मालगाड़ियों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। ट्रेनों से माल ढुलाई की मात्रा में लगातार गिरावट दर्ज की गई है ।’’
उन्होंने कहा कि रेलवे जब तक अपनी कमाई नहीं बढ़ायेगी तब तक रेलवे को चुस्त दुरूस्त नहीं किया जा सकेगा । लेकिन यह खेदजनक है कि सुरक्षा से संबंधित महत्वपूर्ण कोष डीआरएफ फंड के मद में इस बजट में कटौती की गई है।
लोकसभा में कांग्रेस के नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पिछले वर्षो में फ्रांस, चीन और रूस की यात्रा के दौरान सहमति पत्रों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किये गए थे लेकिन इस दिशा में प्रगति की कोई सूचना नहीं है ।
उन्होंने कहा कि सरकार रेलवे में 50 लाख करोड़ रूपये के निवेश की बात कह रही है लेकिन यह पैसा कहां से आयेगा, इसका कोई जिक्र नहीं है । ‘‘ यह तो वही बात हो गई कि सोने को चटाई नहीं और तम्बू की फरमाइश हो रही है । ’’