राष्ट्रपति के अभिभाषण पर राज्यसभा में धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे सहित कुछ अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों के भाषणों के कुछ अंश सदन की कार्यवाही से हटाए जाने के विरोध में शुक्रवार को कांग्रेस सहित कुछ अन्य दलों ने उच्च सदन से बहिर्गमन किया। कांग्रेस और भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के सदस्यों ने सभापति से उनके भाषणों के अंशों को हटाए जाने पर आपत्ति जताई और उन अंशों को फिर से सदन की कार्यवाही में बहाल करने की मांग की। सुबह 11 बजे जैसे ही सदन की कार्यवाही आरंभ हुई सभापति जगदीप धनखड़ ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए। इसके बाद बीआरएस के के . केशव राव ने अपने भाषण के कुछ अंश सदन की कार्यवाही से हटाए जाने का मुद्दा उठाया और पूछा कि क्यों ऐसा किया गया। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के विनय विश्वम ने कहा कि आसन के प्रति सदस्यों का बहुत सम्मान है और सभापति को मैच के रेफरी की तरह बर्ताव करना चाहिए ना कि खिलाड़ी की तरह।
कांग्रेस के प्रमोद तिवारी ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष के भाषण में ऐसा कुछ भी अशिष्ट या असंसदीय या फिर मानहानिकारक नहीं था जिसे कार्यवाही से निकाला जाए। उन्होंने सभापति से आग्रह किया कि सदन की कार्यवाही से हटाए गए अंशों को फिर से बहाल किया जाए। कांग्रेस के ही नासिर हुसैन ने नियम 267 के तहत विपक्षी सदस्यों के नोटिस अस्वीकार किए जाने का मुद्दा उठाया और कहा कि विपक्षी सदस्य भारतीय जीवन बीमा निगम और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के ग्राहकों से जुड़े मुद्दे उठाना चाहते हैं। इस पर सभापति ने कहा कि नियम 267 सदस्यों ने ही बनाए हैं और कोई भी नोटिस नियमों के अनुरूप ना होने की वजह से स्वीकार नहीं किए गए हैं। इसी बीच, सभापति ने विपक्ष के नेता को अपनी बात रखने का मौका दिया। खरगे अपनी बात रखने ही वाले थे कि सत्ताधारी दल के सदस्यों ने जोर जोर से मोदी-मोदी के नारे लगाने आरंभ कर दिए। इस पर, सभापति ने सदन के नेता पीयूष गोयल से अपने सदस्यों को शांत कराने की अपील की।
गोयल ने कहा कि बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री मोदी जब राष्ट्रपति अभिभाषण पर चर्चा का जवाब दे रहे थे तब विपक्षी दलों के सदस्यों का व्यवहार बहुत ही आपत्तिजनक था और वह सदन की अवमानना थी। उन्होंने कहा कि यहां तक कि विपक्षी सदस्यों ने आसन की भी अवमानना की। उन्होंने कहा कि इस आचरण के लिए विपक्ष के नेता को माफी मांगनी चाहिए।इसके बाद सदन में हंगामा आरंभ हो गया। खरगे ने व्यवस्था का सवाल उठाते हुए अपने भाषणों के अंशों को हटाए जाने का मुद्दा उठाया। इसी दौरान, सत्ताधारी दल के सदस्य मोदी-मोदी के नारे लगाने लगे। हंगामे के बीच, खरगे ने कहा कि विपक्ष का गुस्सा आसन या सभापति के प्रति नहीं है बल्कि सरकार के प्रति है। उन्होंने कहा कि उनके भाषणों के छह अंशों को कार्यवाही से हटा दिया गया लेकिन उनमें एक भी ऐसा नहीं है जो असंसदीय है। इसके बाद खरगे ने जैसे ही हटाए गए अंशों को पढ़ना शुरू किया, सभापति धनखड़ ने उन्हें रोक दिया और कहा कि वह फिर से उन्हीं अंशों को नहीं दोहरा सकते जिन्हें सदन की कार्यवाही से हटा दिया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती।’’
इसके बाद विपक्षी सदस्यों ने विरोध करना आरंभ कर दिया। इस दौरान वे अडाणी समूह से जुड़े मामले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति गठित करने की मांग को लेकर नारेबाजी कर रहे थे। हंगामे के बीच ही सभापति ने शून्यकाल आरंभ किया और माकपा के वी. शिवदासन का नाम पुकारा। इसी समय, बीआरएस, आम आदमी पार्टी और शिव सेना के सदस्य सदन से बहिर्गमन कर गए और कांग्रेस के सदस्य नारेबाजी करने लगे। हंगामे के बीच ही शून्यकाल पूरा हुआ। प्रश्नकाल आरंभ होते ही विपक्षी सदस्य आसन के निकट आकर नारेबाजी करने लगे। सभापति ने नारेबाजी कर रहे सदस्यों से अपने स्थान पर लौट जाने का आग्रह किया लेकिन जब इसका कोई असर नहीं हुआ तो उन्होंने आसन के निकट मौजूद सभी कांग्रेस सदस्यों का नाम लेकर उन्हें सदन से बाहर जाने को कहा। हालांकि, बाद में सभी सदस्य अपनी सीट पर लौट गए। इसके बाद, खरगे कुछ कहना चाह रहे थे लेकिन उन्हें बोलने की अनुमति नहीं दी गई। लिहाजा, कांग्रेस के सदस्य सदन से बहिर्गमन कर गए।