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गोगोई को राज्यसभा के लिए मनोनीत किए जाने को कांग्रेस ने बताया ‘न्यायपालिका पर आघात’

सिंघवी ने कहा, हमारे संविधान के तहत न्यायपालिका एक तरफ होकर काम करती है तथा कार्यपालिका और विधायिका दूसरी तरफ होते हैं।

भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए मनोनीत किए जाने को लेकर कांग्रेस लगातार केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल खड़े कर रही है। वहीं गोगोई ने खुद के मनोनीत किए जाने को लेकर मंगलवार को बयान देते हुए कहा कि पहले मुझे शपथ लेने दीजिए फिर मैं मीडिया से विस्तार से इस मुद्दे पर बात करूंगा।
कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने यह भी कहा कि मोदी सरकार ने पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली के उस कथन का भी ख्याल नहीं रखा जिसमें उन्होंने न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति के बाद पदों पर नियुक्ति का विरोध किया था। उन्होंने संसद परिसर में संवाददाताओं से कहा, ‘‘कांग्रेस यह कहना चाहती है कि हमारे सबसे महत्वपूर्ण और व्यापक स्तंभ न्यायपालिका पर आघात किया गया है। इसका किसी व्यक्ति विशेष या न्यायमूर्ति गोगोई से संबंध नहीं है। 

पहले मुझे शपथ लेने दीजिए फिर मैं मीडिया से विस्तार से करूंगा बात : रंजन गोगाई

इसका नीति, सिद्धांत और 70 साल से चले आ रहे नियम से संबंध है।’’ सिंघवी ने कहा, ‘‘हमारे संविधान के तहत न्यायपालिका एक तरफ होकर काम करती है तथा कार्यपालिका और विधायिका दूसरी तरफ होते हैं। संविधान में शक्तियों का स्पष्ट बंटवारा किया गया है।’’ उन्होंने दावा किया, ‘‘यह धारणा कुछ वर्षों से बन रही थी कि हमारी कार्यपालिका के आक्रमण से न्यायपालिका में कमजोरी आ रही है। यह धारणा और बढ़ेगी।’’ 
सिंघवी ने कहा, ‘‘मिथ्या प्रचार किया जा रहा है कि हमने भी ऐसा किया था। न्यायमूर्ति रंगनाथ मिश्रा का उदाहरण दिया जाता है। लेकिन यह नहीं बताया जाता कि प्रधान न्यायाधीश का पद छोड़ने के छह वर्ष बाद वह राज्यसभा पहुंचे थे। लेकिन गोगोई के मामले में छह महीने का समय है। इससे पहले एक प्रधान न्यायाधीश को राज्यपाल बनाया गया था।’’ 
उन्होंने जेटली के एक बयान का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘कम से कम हमारी नहीं सुनते तो अपनों की सुनिए। जेटली जी की सुनिए। लेकिन ऐसा नहीं किया। आपने अपने लोगों की बात नहीं मानी और लंबी विरासत और सिद्धांत का उल्लंघन किया।’’ दरअसल, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोमवार को गोगोई को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया। गोगोई 17 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। 

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