पंजाब में मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच काफी समय से तीखी खींचतान जारी है। सिद्धू ने पिछले काफी समय से कैप्टन अमरिंदर को अपने निशाने पर लेते हुए उन पर कई जुबानी हमलें किए है, जिस से स्पष्ट होता है कि दोनों नेताओं के बीच कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है।
दोनों नेताओं के बीच लड़ाई के चलते गुटबाजी का माहौल तैयार हो गया है, जो पंजाब कांग्रेस के लिए आगामी विधानसभा चुनाव में बुरा असर डाल सकता है। इस मुद्दों को सुलझाने के लिए गठित की गई तीन सदस्यीय कांग्रेस कमेटी ने 25 विधायकों को सोमवार को दिल्ली में तलब किया है, ताकि वे पंजाब में जारी खींचतान पर अपना फीडबैक ले सकें। सूत्रों के अनुसार, बैठक दिल्ली के कांग्रेस वॉर रूम में होनी है।
कांग्रेस ने नवजोत सिंह सिद्धू और मुख्यमंत्री के बीच के मुद्दों को सुलझाने के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे, हरीश रावत और जेपी अग्रवाल की तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है। रावत कांग्रेस के पंजाब प्रभारी भी हैं। सिद्धू मुख्यमंत्री पर हमला करते हुए कह रहे हैं कि वह इंतजार कर रहे हैं क्योंकि आलाकमान ने हस्तक्षेप किया है। सिद्धू ने मुख्यमंत्री को अपने आरोप साबित करने की चुनौती दी।
राजस्थान में समिति के भाग्य को देखकर असंतुष्ट समूह का कहना है कि यह समय खरीदने के लिए है क्योंकि बहुत कुछ अपेक्षित नहीं है। एआईसीसी मुख्यमंत्री को बदलने का जोखिम नहीं उठाएगी क्योंकि अकाली दल का सामना करने के लिए उनके कद का कोई नहीं है। बादल परिवार, कांग्रेस को बीच का रास्ता निकालना होगा, क्योंकि 20 विधायक मुख्यमंत्री की कार्यशैली से नाखुश बताए जा रहे हैं।